नई दिल्ली: इन दिनों दुनिया भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा चर्चा का विषय बना हुआ है। यूक्रेन से पहले पीएम मोदी ने रूस का भी दौरा किया था। रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी हुई है। दोनों देश एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं, यह सभी जानते हैं। वहीं, रूस भारत का हमेशा से एक अच्छा दोस्त रहा है। जबकि 1991 में यूक्रेन देश अस्तित्व में आया। 1993 में भारत और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए। तब से यह पहला अवसर होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन के दौरे पर होगा।
संबंधों को संतुलित करने पर भारत का जोर
भारत अपने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मूल मंत्र को आगे बढ़ाते हुए संघर्ष के इस दौर में कूटनीतिक रूप से समाधान निकालना चाहता है। यही कारण है कि रूस दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन पहुंच रहे हैं। यह दौरा रूस और यूक्रेन के बीच संभावित मध्यस्थ के रूप में भी देखा जा रहा है। क्योंकि पीएम मोदी दुनिया के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने रूस द्वारा यूक्रेन के अस्पताल पर किए गए हमले की निंदा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने की थी। तब पीएम मोदी ने कहा था कि लोगों की मौत से बहुत दुख होता है। विशेषकर तब जब बच्चों की जान जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा के कई कारण हैं। जिसमें शांति, कूटनीति और निवेश जैसे मूल मुद्दे शामिल हैं। राजनीतिक रूप से अगर देखें तो रूस भारत का अच्छा मित्र रहा है। रूस भारत को सामरिक संसाधन के साथ-साथ प्रौद्योगिकी और निवेश के अवसर प्रदान करता है। इस लिहाज से पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा कूटनीतिक रूप से विशेष है, जो इन हितों को संतुलित करने के तौर पर रणनीतिक प्रयासों के रूप में देखी जा रही है।
वहीं, अगर मोदी के यूक्रेन यात्रा की अन्य वजह देखें तो वह है शांति। दुनिया को यह पता है कि विश्व में शांति कायम करनी है तो वह भारत के प्रयासों से ही संभव हो सकती है। अमेरिका ने स्वयं कई बार कहा कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकना है तो इसके लिए भारत को पहल करनी होगी। पीएम मोदी ने भी अपनी रूस यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध खत्म करने की अपील की थी। जिसकी अमेरिका ने सराहना भी की थी। तब अमेरिका ने कहा था कि रूस और भारत के अच्छे संबंध हैं, इसलिए भारत की यह पहल सराहनीय है।
माना जा रहा है कि यूक्रेन यात्रा के दौरान पीएम मोदी यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से युद्ध विराम पर चर्चा कर सकते हैं। अगर पीएम मोदी के इस दौरे से रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत होती है और युद्ध विराम पर सहमति बनती है, तो वह प्रमुख वैश्विक नेता के रूप में अपनी छवि को मजबूत करने के साथ-साथ भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत करने में सफल होंगे।
पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे से चीन को झटका
पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे से चीन सक्ते में हैं। हाल ही में बीजिंग ने यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा को निमंत्रण दिया था। जिसके बाद कुलेबा 26 जुलाई को चीन पहुंचे थे। पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा यूक्रेनी विदेश मंत्री के चीन दौरे के ठीक बाद हो रही है। जिसको रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
क्योंकि चीन ने हाल ही में ईरान और सऊदी अरब के बीच शांति समझौते में मध्यस्थता की थी। अब चीन का प्रयास है कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता करके शांति दूत बना जाए। हालांकि चीन का दोहरा चरित्र रहा है। क्योंकि दुनिया भर में चीन अपने अतिक्रमणकारी रवैया के लिए जाना जाता है। इसी इमेज से उबरने के लिए वह दो देशों के बीच मध्यस्थता करके अपनी वैश्विक पहचान शांति दूत के तौर पर स्थापित करना चाहता है।
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हालांकि, पीएम मोदी के पहले रूस और अब यूक्रेन दौरे से चीन को दोहरा झटका लगा है। क्योंकि एक्सपर्ट भी मानते हैं कि भारत के रूस और यूक्रेन दोनों से संबंध अच्छे हैं। अगर इस क्षेत्र में स्थायी शांति चाहिए तो रूस और यूक्रेन को सीधी बातचीत करनी होगी। जो वर्तमान परिदृश्य में भारत की मध्यस्थता से ही संभव है।