लखनऊ: 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के निर्णय के बाद रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई। बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी। इसके बजाय शिक्षक भर्ती के लिए एक नई मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण की सुविधा का लाभ आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को मिलना चाहिए और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस मामले पर बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की और सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के आलोक में कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस संबंध में उन्होंने X पर ट्वीट करके जानकारी भी दी।
69,000 शिक्षक भर्ती प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आज माननीय न्यायालय के निर्णय के सभी तथ्यों से मुझे अवगत कराया गया।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऑब्जर्वेशन एवं माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ बेंच के निर्णय के आलोक में कार्यवाही करने हेतु विभाग को निर्देश दिए हैं।…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 18, 2024
इस महत्वपूर्ण बैठक में CM योगी के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय, बेसिक शिक्षा विभाग और न्याय विभाग के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। यह फैसला हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद लिया गया, जिसमें 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 की चयन सूची को दरकिनार कर नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए गए थे।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि सामान्य श्रेणी में मेरिट पाने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में माइग्रेट किया जाएगा और ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ क्षैतिज आरक्षण को भी दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नई चयन सूची तैयार करने के दौरान यदि कोई वर्तमान में कार्यरत अभ्यर्थी प्रभावित होता है, तो उसे सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े।
इस फैसले के बाद, राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे संविधान के तहत आरक्षण की व्यवस्था को पूरी तरह से लागू करेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।