कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। डॉक्टर सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 43 सरकारी डॉक्टरों का एक साथ तबादला कर दिया है। यह आदेश शुक्रवार को जारी किया गया। आदेश में कहा गया है कि यह तबादले ‘राज्यपाल की इच्छा’ से किए गए हैं।
शनिवार को सूत्रों ने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग ने यह कदम तब उठाया जब आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने स्वास्थ्य विभाग में जाकर उच्च अधिकारियों से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्हीं के कहने पर विभाग ने यह कदम उठाया है। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अधीनस्थ इस विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
भाजपा ने इस तबादले को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार का “प्रतिशोधात्मक कदम” बताया है। पार्टी का कहना है कि इन डॉक्टरों ने आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना के विरोध में आवाज उठाई थी, और इसी कारण से उनका तबादला किया गया है।
भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने शनिवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार दुष्कर्मियों, हत्यारों और आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सुनियोजित ढंग से घुसकर तोड़फोड़ करने वालों पर कार्रवाई करने के बजाए न्याय की गुहार लगा रहे आम नागरिकों, डॉक्टरों और मीडियाकर्मियों पर कार्रवाई कर रही है। ममता सरकार ने बंगाल की बिटिया के लिए न्याय की आवाज उठाने वाले 43 डॉक्टरों का ट्रांसफर किया है। कुछ डॉक्टरों का ट्रांसफर दूर-दराज के इलाकों में भी किया गया है।
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इस तबादले के खिलाफ डॉक्टरों के संगठन ‘यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन’ ने भी विरोध जताया है। संगठन ने अपने बयान में कहा, ‘हमारे विरोध का समर्थन करने वाले सदस्यों का अन्यायपूर्ण तरीके से तबादला किया गया है। यह सजा देने वाला कदम न्याय और सुरक्षा के लिए हमारी मांग को नहीं दबा सकता। हम अपनी लड़ाई में एकजुट और दृढ़ हैं।’