नई दिल्ली: संसद के जारी मानसून सत्र के दौरान, आज गुरुवार को मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करेगी। इस बिल को देखते हु्ए संसद में हंगामा होने के आसार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बिल को लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य है कि वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती की जाए। सरकार का तर्क है कि यह संसोधन बिल वक्फ की संपत्तियों की देखरेख के लिए लाया जा रहा है। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की है।
आज अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश करने को लेकर सूचीबद्ध किया है। साथ ही मोदी सरकार ने वक्फ संपत्ति (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली), विधेयक, 2014 को वापस लेने का भी निर्णय लिया है। इसे फरवरी 2014 में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पेश किया था। तक राज्यसभा में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने 18 फरवरी, 2014 यह विधेयक पेश किया था। जिसे 5 मार्च, 2014 को कार्मिक, लोक शिकायत, विधि व न्याय संबंधी स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था।
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1954 में नेहरू ने बनाया था वक्फ बोर्ड अधिनियम
1954 में वक्फ बोर्ड अधिनियम उस समय के प्रधानमंत्री नेहरू गांधी की सरकार ने बनाया था। जिसके बाद इस कानून में 1995 ओर 2013 में संशोधन किया गया। वक्फ बोर्ड को सबसे ज्यादा अधिकार 2013 में हुए वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन में दिए गए। 2013 में हुए संशोधन के अनुसार, वक्फ बोर्ड को यह अधिकार दिया गया कि अगर वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति करार देते है, तो ऐसे मामलों को कोर्ट को चुनौती नहीं दी जा सकती। कई लोग इसे वक्फ बोर्ड को संपत्ति छीनने के लिए दिए गए अधिकार के तौर पर देखते हैं। देश में वक्फ बोर्ड इकलौती ऐसी धार्मिक संस्था है, जिसके बाद इतने असीमित अधिकार हैं। किसी भी धर्म की संस्था के पास इतने अधिकार नहीं हैं।