Ayodhya News- सावन महीने की हरियाली तीज के अवसर पर मणि पर्वत मेले के साथ राम नगरी में सावन झूला मेले का आयोजन किया गया। रामनगरी के प्रमुख मंदिरों से भगवान राम व माता जानकी के विग्रह रूप को रथ पर बैठाकर मणिपर्वत तक ले जाया गया। फिर झूलों पर स्थापित कर झुलाने का कार्यक्रम किया गया। बता दें, कि अयोध्या का प्रसिद्ध मणि पर्वत मेले की शुरूआत हो चुकी है। 12 दिनों तक इसका आयोजन होगा। इस अवसर पर कनक भवन, दशरथ महल, श्रीरामवल्लभाकुंज और मणि राम दास जी की छावनी सहित 100 से ज्यादा मंदिरों से भगवान के विग्रह धूमधाम से मणि पर्वत ले जाए गए।
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परपंरागत कत्थक गायकों ने अपनी कला का किया प्रदर्शन
इस अवसर पर कजरी व झूला गीत गाकर राम सीता की युगल जोड़ी के दर्शन किए गए। कई कथक व गायकों को भी मणिपर्वत के झूलनोत्सव में ठाकुर जी के सामने नृत्य करते देखा गया। दशरथ महल के स्वर्ण युक्त रजत झूले पर रामलला को विराजमान किया गया। इस झूले और उसके सिंहासन पर सोने के सूर्य हैं। श्रीराम और सीता की आठ-आठ सखियां और द्वार पाल सहित रामायण के प्रसंग के चित्र भी सोने के ही है। झूले उसकी डोर और सिंहासन पर स्वर्ण जड़ित नक्काशी श्रद्धालुओं को मुग्ध कर रही है। इसके आचार्य महंत देवेंद्र प्रसाद स्वंय भगवान को झूला झुला रहे हैं। मंदिर में कई परपंरागत कत्थक गायकों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
राम-विवाह मंदिर के मुख्य उत्सव
महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया, कि यह प्राचीन राजा दशरथ का महल है। इसकी पुर्नस्थापना पीठ के संस्थापक आचार्य बाबा रामप्रसाद ने की। तपस्या के दौरान वे तिलक लगाना भूल गए तो स्वयं सीता जी ने प्रकट होकर अपने पैर के अंगूठे से उनका तिलक किया। यहीं से विंदू भावधारा आरंभ हुई। दशरथ महल उसकी आचार्य भूमि है। मंदिर में पूरे वर्ष उत्सव चलता रहता है। चैत्र रामनवमी, सावन झूला और कार्तिक मेला उत्सव के साथ राम विवाह मंदिर के मुख्य उत्सव हैं।
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इन मंदिरों को सजाया गया
कनक भवन, श्री राम वल्लभाकुंज, दशरथ महल, मणिराम दास जी की छावनी, राजगोपाल मंदिर, लक्ष्मण किला, हनुमत निवास, राज सदन, रामलला सदन, कोसलेश सदन, रंग महल, राम हर्षण कुंज, जानकी महल ट्रस्ट, सद्गुरू सदन, सियाराम किला, अशर्फी भवन, राम चरित मानस भवन, गहोई मंदिर, हनुमत सदन, जानकी घाट बड़ा स्थान और बड़ा भक्तमाल आदि स्थानों में झूलनोत्सव बेहद मनभवन हो रहा है।