नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती करने जा रही है। इसको लेकर वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाने की तैयारी है। हालांकि, अभी तक इसको लेकर तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन, वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की चर्चाएं जोरों पर हैं। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के करीब 40 अधिकारों में कटौती कर सकती है। जिसमें किसी के प्रॉपर्टी को अपना बताकर उस पर कब्जा करने के अधिकार पर रोक भी शामिल है।
क्या है वक्फ बोर्ड?
पहली बार साल 1954 में तब के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने वक्फ अधिनियम बनाया था। इसके बाद इस अधिनियम में कई बार संशोधन किए जा चुके हैं। वक्फ का अर्थ है ‘अल्लाह’ के नाम । वक्फ बोर्ड की एक कमेटी होती है। जो यह तय करती है कि यह कौन सी वक्फ बोर्ड संपत्ति है। अगर को कोई मुस्लिम संस्थान किसी जमीन को लंबे समय से प्रयोग में ला रहा है, या फिर सर्वे में वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ है तो बोर्ड उसे अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है।
किसी भी संपत्ति को अपनी घोषित कर सकता है वक्फ बोर्ड
1954 में बने वक्फ बोर्ड अधिनियम में अब कर कई बार संशोधन हो चुके हैं। 1995 में नरसिम्हा राव सरकार में वक्फ बोर्ड एक्ट में कई बदलाव किए। वक्फ बोर्ड कब्रिस्तानों की जमीन की चारदीवारी कराकर उसे अपनी जमीन घोषित कर देता है। इतना ही नहीं कब्रिस्तानों के आसपास की जमीनों को भी बोर्ड अपनी घोषित कर देता है। वक्फ बोर्ड को यह अधिकार प्राप्त है कि जिस जमीन को वह अपनी करार देता है, तब उसे यह साबित करने की कोई जरूरत नहीं कि यह संपत्ति उस की है। बल्कि जमीन के मालिक को ही यह साबित करना होगा की जमीन का असली मालिक वह ही है।
मतलब वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को अपनी घोषित करता है, तो उसे कोर्ट में कोई भी दस्तावेज पेश करने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि अब तक जिस व्यक्ति के पास जमीन पर कब्जा था उसे, ही सभी साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। इस स्थिति में सबसे ज्यादा समस्या उन्हीं लोगों को होती है, जिनके पास उनकी पैतृक संपत्ति का कोई पुख्ता सबूत नहीं है। वक्फ बोर्ड ऐसे लोगों की जमीन को अपनी करार देकर फायदा उठाता है।
2013 में कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड को दिए असीमित अधिकार
1995 के बाद 2013 में वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन किया गया। जिसमें कई प्रकार की वक्फ बोर्ड को स्वतंत्रता दे गईं। 2013 में हुए संशोधन के अनुसार, वक्फ बोर्ड को यह अधिकार दिया गया कि अगर वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति करार देते है, तो ऐसे मामलों को कोर्ट को चुनौती नहीं दी जा सकती। कई लोग इसे वक्फ बोर्ड को संपत्ति छीनने के लिए दिए गए अधिकार के तौर पर देखते हैं। देश में वक्फ बोर्ड इकलौती ऐसी धार्मिक संस्था है, जिसके बाद इतने असीमित अधिकार हैं। किसी भी धर्म की संस्था के पास इतने अधिकार नहीं हैं।