लखनऊ: बुधवार को यूपी विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) 2024 पारित हो गया। हालांकि, सत्ता पक्ष व विपक्ष के विधायकों के विरोध को देखते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधेयक में संशोधन की बात कही है। इस नए विधेयक को पास कराने के पीछे योगी सरकार का उद्देश्य है कि नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाइयों के लिए ही किया जाएगा।
विधेयक पर बोलते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नजूल भूमि पट्टा पर जिन लोगों की समय सीमा 2025 तक समाप्त हो रही है, उनके लीज का नवीनीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार नजूल भूमि का संरक्षण करना चाहती। विश्वास दिलाते हुए कहा कि गरीबों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। जिन लोगों ने लीज का पैसा जमा किया है, उनका नवीनीकरण किया जाएगा। हालांकि, सपा विधायक फिर भी इस विधेयक का विरोध करते रहे। लेकिन इसी बीच नारेबाजी के बीच यह प्रस्ताव पेश हो गया
विधायकों ने क्या कहा?
विधायक पेश करने के बाद विधानसभा में चर्चा के दौरान सपा के विधायक आरके वर्मा और कमाल अख्तर ने इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की बात कही है। साथ ही सत्ता पक्ष भाजपा विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सुझाव दिया कि जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्रमाणिक हैं उनका पट्टा नवीकरण किया जाना चाहिए। साथ ही अनाधिकृत रहने वाले लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। साथ ही भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने कहा कि एक तरफ हम प्रधानमंत्री आवास दे रहे हैं,दूसरी तरफ गरीबों को उजाड़ने जा रहे हैं… यह न्याय संगत नहीं है। इसलिए इस विधायक को प्रवर समिति को सौंपा जाए।
साथ ही योगी सरकार में कैबिनट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सदन में कहा पता चला है कि हाईकोर्ट भी नजूल की भूमि पर बना है। राजा भैया ने भाजपा विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह और हर्षवर्धन बाजपेई के विचारों से खुद को संबंध करते हुए कहा कि इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए। उनके अवाला भी सपा व भाजपा के कई विधायकों ने इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग की।