पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) शनिवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक को बीच में ही छोड़कर बाहर आ गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बात को अनसुना किया गया और उनका माइक बंद कर दिया गया जब उन्होंने बंगाल के लिए फंड की मांग की।
बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और पदेन सदस्य शामिल थे। ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चंद्रबाबू नायडू और अन्य मुख्यमंत्रियों को लंबा बोलने का मौका मिला, जबकि उन्हें केवल पांच मिनट में ही रोक दिया गया। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा कि यह न केवल बंगाल, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है।
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ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने आरोप लगाया कि बैठक में विपक्ष का केवल वे ही प्रतिनिधित्व कर रही थीं और उनका माइक बंद कर देना पूरी तरह से अस्वीकार्य था। उन्होंने कहा वो इस बैठक में इसलिए शामिल हो रही हैं क्योंकि सहकारी संघवाद को मज़बूत करने में ज़्यादा दिलचस्पी है। उन्होंने कहा कि आप दूसरे राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं। नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं तो यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियां दें या योजना आयोग को वापस लाएं।
बता दें विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A. शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। इनमें तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और झारखंड के मुख्यमंत्री शामिल हैं।