उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित शिवालय में ऐसी घटना घटी जिससे अंग्रेज भी हैरान रह गए। आखिरकार मजबूरन उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा। जानकारी के अनुसार गाजीपुर जनपद की सेवराई तहसील के भदौरा ब्लाक अन्तर्गत देवकली गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं। इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। अंग्रेजों के जमाने में बने इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कहानियां बतायी जाती है। श्रावण मास में इस मंदिर में दूर-दराज से भक्तों के आने का सिलसिला लगातार जारी रहता है। श्रावण मास में मन्दिर समिति की ओर से जलाभिषेक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अंग्रेजों के शासन काल में मंदिर के किनारे से रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी।
गांव के लोगों ने इसका विरोध किया। रेलवे लाइन मंदिर के किसी अन्य रास्ते से ले जाने को रेलकर्मी तैयार नहीं थे। रेलकर्मियों ने कहा कहा कि शिव में अगर शक्ति है। तो मंदिर का कपाट किसी दूसरे दिशा में खुल जाए। बताया जाता है कि उसी रात मंदिर की कपाट पूरब दिशा से पश्चिम दिशा की तरफ खुल गया। तभी से आज भी मंदिर का कपाट पश्चिम दिशा में ही है। इस घटना से अंग्रेज़ अधिकारी भी हैरान रह गए। बाद में अंग्रेज अधिकारियों के आदेश पर रेलवे लाइन का रास्ता बदल दिया गया। रेलवे लाइन को भी गांव के पूर्व दिशा की तरफ मोड़ दिया गया।
यह रेलवे लाइन पंडित दीनदयाल उपाध्याय हावड़ा रूट पर देवकली गांव के पास से होकर निकलती है। श्रावण मास में मन्दिर समिति की ओर से यहां जलाभिषेक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसमें श्रद्धालुओं की ओर से गहमर के नरवा गंगा घाट से स्नान के बाद जल लिया जाता है। सबसे पहले भगवान भोले शंकर को जलाभिषेक करने की परंपरा है। प्रथम, द्वितीय, तृतीय के क्रम में श्रद्धालुओं का चयन कर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।
यह भी पढ़ें:- केंद्रीय बजट में उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी घोषणाएं, 2.44 लाख करोड़ से बनेगा विकास का नया रोड मैप