केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा 1966, 1970 और 1980 में जारी किए गए उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के RSS की शाखाओं और गतिविधियों में भाग लेने पर रोक लगाई गई थी। आरोप है कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया था। जिसके तहत कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर कड़ी सजा देने का प्रावधान था, जिसके चलते वे पेंशन लाभ आदि के कारण RSS से दूरी बनाए रखते थे।
हालांकि, इस बीच मध्यप्रदेश सहित कई अन्य राज्यों की सरकारों ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था। जिसके बाद भी केंद्र सरकार के स्तर पर यह वैध बना हुआ था। इस मामले में एक वाद इंदौर की अदालत में चल रहा था। जिस पर अदालत ने केंद्र सरकार से सफाई मांगी। इसी वाद पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया। जिसमें हुए उक्त प्रतिबंधों को समाप्त करने की घोषणा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने अपना एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है।
राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ ने हमेशा अपना योगदान दिया है। इस योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है, यह भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
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