उत्तर प्रदेश में श्रावण मास के प्रथम सोमवार को रात लगभग 2 बजे से ही ‘हर-हर महादेव’ एवं ‘आनंदेश्वर महाराज की जय’ के उद्घोष के साथ बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक शुरू हो गया। श्रद्धालु लाइनों में खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतजार करते दिखे। श्रावण का पवित्र महीना भगवान शिव का माना जाता है। इस माह भगवान शिव की पूजा अर्चना और रुद्राभिषेक का अपना एक अलग ही विशेष महत्व होता है। इस बार श्रावण माह में इस बार श्रावण मास में शुक्रादित्य योग, बुधादित्य योग, नवपंचम योग, गजकेसरी योग, कुबेर योग और शशि योग के दुर्लभ संयोग भी बन रहे है।
श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर ‘नमामि गंगे’ द्वारा गंगा निर्मलीकरण का आवाह्न किया। गंगा स्नान व श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए गंगा द्वार पर पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं के साथ आरती कर स्वच्छता का संकल्प भी दिलाया गया। वहीं कानपुर नगर स्थित आनंदेश्वर, सिद्धेश्वर नाथ, खेरेश्वर नाथ, बनखंडेश्वर, थानेश्वर, कोतवालेश्वर, झगड़ेश्वर, भूतेश्वर महादेव समेत अन्य सभी शिवालयों में सुबह से ही जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की लम्बी कतारें लग गई। मंदिर प्रशासन के अनुसार “शयन आरती” के बाद गर्भगृह के दरवाजे भक्तों के लिए खोल दिए गए।
दिन की पहली किरण के साथ जिन लोगों को अपने भगवान के दर्शन हुए उन्होंने भगवान शिव को धन्यवाद दिया। राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध शिव मंदिरों बुद्धेश्वर महादेव मंदिर, मनकामेश्वर महादेव मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, कोनेश्वर मंदिर, बड़ा शिवाला महादेव मंदिर में भी सावन के प्रथम सोमवार को शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारों के साथ ही ‘बम-बम भोले’ के जयघोष के साथ पूरा वातावरण शिवमय रहा। बाराबंकी के लोधेश्वर महादेवा में भी श्रद्धालुओं का अपार जन सैलाब उमड़ पड़ा।
यहां करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर पूजन-अर्चन किया। रविवार देर रात से ही रविवार की देर रात से ही लगी कई किलोमीटर की लाइन इस बात की गवाही दे रही थी कि आस्था के सामने सभी अवस्थाएं नतमस्तक हैं। हर-हर महादेव की जयघोष से महादेवा गुंजयमान रहा। प्रदेश में कावड़ यात्रा और श्रद्धालुओं कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन भी अलर्ट है।