लखनऊ :उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की तारीख का ऐलान हो चुका है। 29 जुलाई को सुबह 11 बजे से सत्र प्रारंभ होगा। लेकिन, उससे पहले चर्चा है कि यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसे मिलेगी। क्योंकि अभी तक अखिलेश यादव नेता विरोधी दल के रूप में विधानसभा में अपनी भूमिका निभा रहे थे। अब वह सांसद बनने के बाद केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं। उनके उत्तराधिकारी के रूप में सपा के किस विधायक को यह जिम्मेदारी दी जाएगी इस पर अभी संशय बना हुआ है। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष बनने की रेस में सपा के 4 विधायकों का नाम सबसे आगे चल रहा है। आइए इन विधायकों के राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं।
1- शिवपाल सिंह यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह 80 के दशक से ही यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं। वह सबसे पहले 1988 में जिला सहकारी बैंक इटावा के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद वह लगातार 1991 और 1993 फिर से जिला सहकारी बैंक इटावा के अध्यक्ष चुने गए। इसी बीच शिवपाल सिंह 1994 से 1998 तक यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष रहे। 1996 में वह पहली बार जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। जिसके बाद से वह अब तक लगातार इस सीट से विधायक हैं। शिवपाल सिंह लगातार 6 बार से विधायक हैं। सपा में उनकी गिनती अनुभवी नेता के तौर पर होती है। यही कारण है कि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर शिवपाल सिंह यादव का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव से शिवपाल सिंह से पूर्व में मतभेद रहे हैं। मुलायम सिंह के निधन के बाद शिवपाल और अखिलेश के बीच दूरियां खत्म हुई थीं।
2- इंद्रजीत सरोज
सपा विधायक इंद्रजीत सरोज का भी नाम यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के तौर पर सुर्खियों में है। इंद्रजीत सरोज ने अपने राजनीति जीवन की शुरुआत बसपा संस्थापक कांशीराम के साथ की थी। 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद इंद्रजीत सरोज राजनीति में कूदे। वह पहली बार 1996 में यूपी की मंझनपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। मायावती सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी रहे। लेकिन, 2018 में मायावती से अलग हो गए। जिसके बाद वह सपा में शामिल हुए। वर्तमान में वह कौशांबी जिले की मंझनपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। इंद्रजीत सरोज 4 बार विधायक रह चुके हैं।
3-राम अचल राजभर
एक जमाने में बसपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले राम अचल राजभर वर्तमान में सपा के विधायक हैं। साथ ही वह विधानसभा में सदन में विपक्ष के उप नेता भी हैं। राम अचल राजभर को अखिलेश यादव का बहुत करीबी नेता माना जाता है। यही कारण है कि उन्हें सपा में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई है। राम अचल राजभर 2017 में अकबरपुर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। बाद में वह 2022 में सपा में शामिल हो गए। फिर उन्होंने अकबरपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे।
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4-कमाल अख्तर
कमाल अख्तर को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का करीबी नेता माना जाता था। सरकार में रहते हुए मुलायम सिंह ने उन्हें 2004 में राज्यसभा भेजा था। इसके बाद वह 2012 में सपा के टिकट पर अमरोहा जिले की हसनपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। अखिलेश सरकार में उन्हें पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी दी गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में कमाल अख्तर को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में वह मुरादाबाद जिले की कांट विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे।