वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने शुक्रवार को ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर जोर देते हुए कहा कि भविष्य के लिए सेनाओं को जिन हथियारों की जरूरत होगी, वे भारत में ही निर्मित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता की राह पर चलते हुए राष्ट्र की रक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए एयर मार्शल ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारतीय सेनाओं के लिए तभी संभव है, जब DRDO, DPSU और निजी उद्योग सभी एक साथ मिलकर सहयोग करें। उन्होंने आह्वान किया कि हमें एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जहां समग्र लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी एक-दूसरे की मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ वर्दीधारी व्यक्तियों का काम नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है।
हमें अपने दिल और आत्मा को इसमें लगाकर ऐसी तकनीकों और हथियारों का विकास करना चाहिए, जो भारत में ही निर्मित हों, जिससे हम किसी बाहरी एजेंसी पर निर्भर न रहें। एयर मार्शल ने कहा कि देश की सुरक्षा सबसे पहले है और इसके लिए DRDO, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी उद्योगों का सहयोग जरूरी है। भारतीय वायु सेना के पास पहले से ही एक मजबूत वायु रक्षा नेटवर्क है, लेकिन हमें अपनी टेक्नोलॉजी को लगातार अपग्रेड करने और अपनी प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम तकनीक को इस तरह से लागू कर रहे हैं।
जिससे हम यह समझ सकें कि हम कहां जा रहे हैं और क्या हम भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। आज की भू-राजनीति से हमने आत्मनिर्भर होने का सबसे बड़ा सबक सीखा है। जंग में कोई स्थायी दुश्मन या स्थायी दोस्त नहीं होता, इसलिए आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है। उन सभी के स्थायी हित होते हैं। इसलिए आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भर कीबात हम कर रहे हैं, जो केवल शब्द नहीं हैं।
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