कानपुर- कानपुर और उन्नाव की चमड़ा टैनरियों से विश्वभर में लेदर गुड्स का निर्यात किया जाता है। हालांकि, अपने डिजाइनों की कमी के कारण भारतीय लेदर इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में कठिनाई होती है। इस समस्या को सुलझाने के लिए काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (CLE) ने उन्नाव में एक डिजाइन स्टूडियो खोलने की पहल की है। मंगलवार को CLE के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से मुलाकात की।
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी ने बताया कि विदेशों से आने वाले खरीदार अपनी डिजाइनों का माल बनवाते हैं, जिसमें भारत का कोई योगदान नहीं होता। मिलान, पेरिस और लंदन के डिजाइनर ज्यादातर डिजाइनों को बनाते हैं, जिससे गुच्ची, प्राडा और ज़ारा जैसे ब्रैंड्स को लोग पसंद करते हैं। यदि कानपुर रीजन में डिजाइन स्टूडियो बन जाएं, तो यह भारतीय चमड़ा उद्योग के लिए एक बेहतरीन पहल होगी।
डिप्टी सीएम से मुलाकात-
CLE के प्रतिनिधिमंडल ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से मुलाकात की और डिजाइन स्टूडियो का प्रस्ताव रखा। डिप्टी सीएम ने प्रस्ताव आने पर जल्द क्रियान्वयन की बात कही है। इस पहल से न केवल नई डिजाइनों का विकास होगा, बल्कि प्रशिक्षण के भी पूरे इंतजाम होंगे, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और भारतीय लेदर ब्रैंड को वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने में मदद मिलेगी।
जल्द तैयार होगी DPR-
क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी ने बताया कि डिप्टी सीएम के सामने डिजाइन स्टूडियो का प्रस्ताव रखा गया और उन्होंने इसे आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। उन्नाव में उद्योग बंधु की बैठक में डिजाइन स्टूडियो पर चर्चा हो चुकी है। काउंसिल जल्द ही DPR बनाकर प्रशासन के माध्यम से शासन को भेजेगा। जिसमें 15-20 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित है। बैठक में कानपुर-लखनऊ हाइवे पर प्रदूषण और दुर्गंध की समस्या के समाधान के लिए प्रशासन और उद्यमियों ने मिलकर उपाय खोजने पर भी चर्चा की।
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