उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। ये रिपोर्ट आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में अपलोड की गई है, जिससे जनता आसानी से इसे समझ सके। दरअसल उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने की प्रक्रिया उत्तराखंड सरकार ने तेज कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि अक्टूबर महीने तक इसे यहां लागू कर दिया जाएगा।
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देहरादून में राजभवन स्थित राज्य अतिथि गृह (एनेक्सी) में शुक्रवार को विशेषज्ञ समिति ने समान नागरिक संहिता उत्तराखंड की रिपोर्ट का लोकार्पण किया। समान नागरिक संहिता के संबंध में रूल्स मेकिंग एंड इम्प्लिमेंटेशन कमेटी के चेयरमैन और पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि चार भागों में बंटी रिपोर्ट और नियमावली अब लॉन्च कर दी गई है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समान नागरिक संहिता रिपोर्ट आम जनता से साझा नहीं हो पाई थी। अब चारों खंडों की रिपोर्ट और नियमावली का लोकार्पण कर दिया गया है। कमेटी ने https://www.ucc.uk.gov.in/ पर रिपोर्ट के चार वॉल्यूम शेयर किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 1946 में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत की थी।
रिपोर्ट जारी करते हुए कमेटी के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले भारत के वैदिक काल से लेकर संविधान सभा के गठन तक तमाम तरह के गहन अनुसंधान किए गए। अलग-अलग देशों में लागू पर्सनल लॉ का गहनता से अनुसंधान किया गया।
इन देशों में पहले से लागू है समान नागरिक संहिता
शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि मुस्लिम देश तुर्की, सऊदी अरबिया, अजर बैजान, नेपाल, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूएसए, कनाडा, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में पहले ही समान नागरिक संहिता लागू है। इसे पहली बार फ्रांस में नेपोलियन बोनापार्ट लेकर आए थे। इन्होंने सन 1804 में फ्रांस में समान नागरिक संहिता लागू की थी। इसके लगभग 100 वर्ष बाद कुछ अन्य देश भी समान नागरिक संहिता लेकर आए। फ्रांस, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में समान नागरिक संहिता से यूरोप के कई देश प्रभावित हुए और अपने-अपने देश में इसे लेकर आए।
उत्तराखंड में जारी होगी समान नागरिक संहिता पर शोध रिपोर्ट
उन्होंने बताया कि समान नागरिक संहिता रिपोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण कानून का भी जिक्र है, हालांकि इसे सरकार ने समान नागरिक संहिता कानून में शामिल नहीं किया है। इसके अलावा रिपोर्ट में गोद लेने के अधिकार को लेकर भी बात कही गई, लेकिन इसे भी कानून में शामिल नहीं किया गया है। सरकार की तरफ से समान नागरिक संहिता रिपोर्ट के वॉल्यूम एक और वॉल्यूम तीन को सार्वजनिक किया जाएगा। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर शोध रिपोर्ट जारी होगी, उसे आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को समान नागरिक संहिता के बारे में जागरूक करना है। अक्टूबर माह तक समान नागरिक संहिता राज्य में लागू हो जाएगी।
इस वेबसाइट पर जाकर आप भी देख सकते हैं
समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को आप https://ucc.uk.gov.in/ पर जाकर देख सकते हैं। बता दें कि ये रिपोर्ट चार खंडों में उपलब्ध है।
समान नागरिक संहिता में किए गए मुख्य प्रावधान
– समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी।
– किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे।
– बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी।
– विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य। पंजीकरण ना होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ।
– पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना होगा प्रतिबंधित।
– सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
– वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार।
हिन्दुस्थान समाचार