पीएलआई योजना और मेक इन इंडिया के दम पर देश दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पादों के क्षेत्र में पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। पीएलआई योजना के जरिए देश में तीन वर्षों में दूरसंचार उपकरणों की विनिर्माण बिक्री 50,000 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर को पार कर गई है।
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3400 करोड़ का आया निवेश
केंद्र सरकार ने कहा है कि ये देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। इस बिक्री में करीब 10,500 करोड़ रुपए का निर्यात भी शामिल है। पीएलआई योजना के जरिए दूरसंचार क्षेत्र ने तीन वर्षों की इस अवधि में 3,400 करोड़ रुपये का निवेश आया है और 17,800 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया है।
सरकार ने कहा है कि दूरसंचार व नेटवर्किंग उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना से देश में उत्पादन, रोजगार सृजन, आर्थिक वृद्धि एवं निर्यात में वृद्धि देखने को मिली है।
आयात और निर्यात के बीच अंतर हुआ कम
पीएलआई योजना के अलावा सरकार के अन्य प्रयासों से दूरसंचार आयात और निर्यात के बीच अंतर काफी कम हो गया है। दूरसंचार उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर 2023-24 में 1.49 लाख करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात किया गया। इस अवधि में आयात 1.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा।
आयातित दूरसंचार उपकरणों पर निर्भरता हुई कम
पीएलआई योजना ने आयातित दूरसंचार उपकरणों पर भारत की निर्भरता को करीब 60 फीसदी तक कम कर दिया है। इससे देश कुछ उत्पादों में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। भारतीय निर्माता अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। उत्तरी अमेरिका और यूरोप को 5जी उपकरण निर्यात कर रहे हैं। यही वजह है कि पिछले पांच वर्षों में दूरसंचार क्षेत्र में व्यापार घाटा 68,000 करोड़ से कम होकर 4,000 करोड़ रुपये हो गया है।
मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात में तेजी आई
पीएलआई योजना के जरिए देश में मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात में काफी तेजी आई है। भारत अब मोबाइल फोन आयातक से निर्यातक बन गया है। जहां 2014-15 में देश में सिर्फ 5.8 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन और 21 करोड़ यूनिट आयात किया जाता था।