लखनऊ- इयरफोन और इयर प्लग के अधिक उपयोग से बहरेपन का खतरा लगभग 4 गुना तक बढ़ जाता है। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों को जागरूक करने का फैसला किया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों और कमिश्नरों को पत्र लिखा है, जिसमें इयरफोन के इस्तेमाल से होने वाली संभावित दिक्कतों के बारे में लोगों को जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव ने बताया कि जनपदों में चौक-चौराहों से लेकर स्कूलों तक में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों का इस्तेमाल कर लोगों को इयरफोन के नुकसान के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जिससे उनमें बहरेपन का खतरा बढ़ गया है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में होने वाली पैरंट्स-टीचर्स मीटिंग में भी इस विषय पर चर्चा की जाएगी। लोगों को बताया जाएगा कि एक दिन में 2 घंटे से अधिक समय तक इयरफोन का इस्तेमाल उनके लिए खतरनाक हो सकता है।
सावधानी से करें इयरफोन प्रयोग-
– वायर्ड या ब्लूटूथ इयर प्लग और हेडफोन का अधिक इस्तेमाल सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
– 50 डेसिबल से अधिक वॉल्यूम खतरनाक हो सकता है।
– स्थायी बहरेपन को दूर करना संभव नहीं है और कॉकेलर इम्प्लांट से भी सामान्य सुनने की क्षमता विकसित नहीं की जा सकती है।
75 डेसिबल तक है सेफ, ऐसे करें बचाव’
KGMU के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. मनीष मन्नार ने बताया कि कानों के लिए 75 डेसिबल तक की आवाज सुरक्षित मानी जाती है। इससे तेज आवाज जितने ज्यादा वक्त तक सुनी जाएगी, कानों को उतना ही नुकसान होगा। इयरफोन लगाकर म्यूजिक सुनना बहुत हानिकारक हो सकता है। अगर तेज आवाज वाली जगह पर काम करना पड़ता है, तो शोर से बचने के लिए हेड प्लग का इस्तेमाल करना चाहिए।
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