देश में वायु प्रदूषण की समस्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। ये प्रदूषण कितना जानलेवा है इसका खुलासा एक ताजा रिपोर्ट में हुआ है। लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 10 शहरों में हर साल लगभग 33,000 लोगों की मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं, जो देश की नेशनल क्लीन एयर लिमिट से नीचे है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को अपने स्वच्छ वायु मानदंडों को कम से कम WHO के दिशानिर्देशों के अनुरूप कम करना चाहिए, ताकि नागरिकों को प्रदूषित हवा के खतरों से बचाया जा सके। बता दें कि भारत के स्वच्छ वायु मानदंड वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रति क्यूबिक मीटर हवा में 15 माइक्रोग्राम के दिशा-निर्देश से काफी अधिक है।
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10 शहरों में एयर पॉल्यूशन का बढ़ता खतरा
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के 10 शहरों अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में होने वाली हर 100 में से 7 मौतों के लिए एयर पॉल्यूशन जिम्मेदार है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुंबई, बंगलूरू, कोलकाता और चेन्नई में कई मौतें हुई हैं, लेकिन दिल्ली में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। दिल्ली में वायु प्रदूषण से हर साल 12 हजार लोगों की मौत होती है, जो देश में कुल मौतों का 11.5 प्रतिशत है। दिल्ली के बाद यूपी के वाराणसी में वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। यहां हर साल 830 लोगों की जान गई है, जो कुल मौतों का 10.2 प्रतिशत है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में वायु गुणवत्ता मानकों को सख्त करने और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास बढ़ाने की जरूरत है।
उधर,, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सबसे कम वायु प्रदूषण पाया गया है, लेकिन यहां भी वायु प्रदूषण का स्तर एक जोखिम बना हुआ है। शिमला में हर साल 59 मौतें होती हैं, जो कुल मौतों का 3.7 प्रतिशत है। बता दें कि ये रिपोर्ट सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव, अशोका यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल, स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड और बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर तैयार की है। इस अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान दल में वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और नई दिल्ली के सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज के वैज्ञानिक शामिल रहे। उन्होंने पाया कि दो दिनों में मापे गए औसत पीएम 2.5 प्रदूषण में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि से दैनिक मृत्यु दर में 1.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। अध्ययन करने वालों ने कहा कि भारतीय शहरों में रोज पीएम 2.5 प्रदूषण के संपर्क में आने से मौत का खतरा बढ़ रहा है।
क्या है वायु प्रदूषक पीएम 2. 5 ?
पीएम 2.5 एक ऐसा वायु प्रदूषक है, जिसमें 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे कण होते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि सांस के साथ गहराई तक फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। ऐसे प्रदूषण के स्रोतों में वाहनों से निकलने वाला धुआं और औद्योगिक उत्सर्जन शामिल हैं।