बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह अपने चरम पर है। इसी क्रम में मंगलवार को कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच अमरनाथ यात्रियों का पांचवा जत्था भी जम्मू से कश्मीर घाटी के लिए रवाना हुआ। सोमवार को 23,000 से ज्यादा शिवभक्तों ने 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर में बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे।
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261 वाहनों में सवार होकर निकला पांचवां जत्था
अधिकारियों के अनुसार, 6537 तीर्थयात्रियों का पांचवां जत्था 261 वाहनों में सवार होकर सुबह करीब सवा 3 बजे बालटाल और पालगाम आधार शिविरों के लिए रवाना हुआ। इन 6537 श्रद्धालुओं में से 4431 तीर्थयात्रियों ने अपनी यात्रा के लिए 48 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग को चुना, जबकि 2106 तीर्थयात्रियों ने छोटे लेकिन खड़ी चढ़ाई वाले 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग को चुना।
बता दें कि 28 जून को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाने के बाद से अब तक कुल 26,101 तीर्थयात्री जम्मू बेस कैंप से घाटी के लिए रवाना हो चुके हैं। 52 दिनों की अमरनाथ यात्रा औपचारिक रूप से 29 जून को शुरू हुई थी और अब ये 19 अगस्त को खत्म होगी।
क्यों खास है अमरनाथ धाम ?
अमरनाथ धाम भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। अमरनाथ में भोलेशंकर के दुर्लभ और प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होते हैं। ऐसा माना जाता है कि करीब डेढ़ सौ साल पहले इसे खोजा गया था। हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाली इस शिवलिंग के दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से जाता है और दूसरा बालटाल की ओर से जाता है।
कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी ?
अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग सी आकृति बनती है, जो लगातार 15 दिनों तक रोज थोड़ी-थोड़ी बढ़ती जाती है। 15 दिन में इस शिवलिंग की ऊंचाई 2 गज से ज्यादा हो जाती है। चंद्रमा के घटने से शिवलिंग का आकार भी घटने लगता है और उसके लुप्त होने पर शिवलिंग भी अंतर्ध्यान हो जाता है।