Lucknow News- उत्तर प्रदेश में साइबर अपराधी प्रत्येक जिले में यूनिट खोल रहे हैं। यूनिट के सदस्यों को अपने ही जिले के लोगों को ठगने का टारगेट दिया जा रहा है। ठगकर्मी बैंकों से ऐसे बुजुर्ग कस्टमर की डिटेल निकाल रहे, जिनके अकाउंट में काफी पैसा और उनकी एफडी हो। इसके बाद जालसाजी कर और डिजिटल अरेस्ट कर के पूरा बैंक खाता खाली कर दिया जा रहा है।
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पकड़े गए ठगों के पास लोकल स्तर की जानकारियां
साइबर एक्सपर्ट शिशिर यादव ने बताया, कि डिजिटल अरेस्ट के जरिए फ्रॉड करने वाले गैंग ने अपनी तकनीकी में बदलाव किया है। पहले इस तरह का फ्रॉड नाइजीरिया गैंग करता था। अब यहीं के गैंग देश में रहकर या फिर देश के बाहर से इन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन, हाल ही के दिनों में जो ठगी हुई है, उसमें उनके पास लोकल स्तर की भी जानकारियां थी। यही वजह है, कि साइबर पुलिस ने बीते तीन मामलों में गिरफ्तारियां भी की है। ये ठग लखनऊ और उसके आस-पास के इलाकों में ही रहते थे।
खोली जा रही लोकल यूनिट
साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं, कि अब तक साइबर पुलिस ठगी के शिकार लोगों के पैसे ही रिकवर कर पाती थी, लेकिन, अब बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां भी हो रही है। जालसाज पहले सुदूर इलाकों में बैठ कर ठगी करते थे, जिस वजह से जांच एजेंसियों के रडार पर नहीं आते थे। लेकिन, अब इन्होंने अपनी लोकल यूनिट खोल दी है और वहीं आस-पास के जिलों के लोगों की भर्ती कर रहे है। जिससे उन्हें शिकार के विषय में अधिक से अधिक जानकारी निकालने में मदद मिलती है।
दलालों से खरीद रहे हैं बैंको का डेटा
एसीपी साइबर अभिनव बताते हैं, कि साइबर अपराध करने वालों का नेटवर्क काफी लंबा है। दलालों के जरिए लोगों का डाटा खरीदते हैं। फिर बैंक की डिटेल लेकर लोगों को फोन करते हैं और इसकी जानकारी देते हैं। लोगों को बाकायदा उनकी एफडी और खाते में जमा रकम की जानकारी दी जाती है। यही नहीं, टारगेट से बातचीत के दौरान उनके ही जिले से आईपीएस अफसर का नाम भी यूज किया जाता है, जिससे लोग इनके विश्वास में पूरी तरह आ जाते हैं।
सोशल मीडिया पर इस्तमाल होने वाले मोबाइल नंबर पर आती है कॉल
साइबर क्रिमिनल्स चुने गए व्यक्ति से उसी नंबर पर संपर्क करते हैं, जो उसने सोशल मीडिया पर दिया होता है। इस तरह की ठगी राजधानी में अब तक आधा दर्जन लोगों से हो चुकी है। वहीं, पुलिस इस गैंग के सदस्यों का सुराग तक नहीं लगा सकी है।
इन चीजों का रखना होगा ध्यान
साइबर सेल प्रभारी सतीश साहू कहते है कि ऐसी कॉल आने पर जिस अधिकारी का नाम लिया जा रहा है, उसके नंबर की जांच अपने स्तर से करें। इस काम में लोकल थाने और साइबर सेल की मदद भी ले सकते हैं। पुलिस कभी कॉल करके नहीं बताती है, कि आपको गिरफ्तार किया जा रहा है। ऐसी कॉल आने पर तत्काल 1930 पर कॉल करें और नजदीकी थाने या साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं।