नई दिल्ली- भारतीय नौसेना ने 17 साल तक समुद्री सुरक्षा और निगरानी करने वाले ‘सारस’ हेलीकॉप्टरों को अंतिम विदाई दे दी है। विशाखापत्तनम के INS डेगा पर हुए D-इंडक्शन समारोह के दौरान UH-3H हेलीकॉप्टर ने अंतिम उड़ान भरी। इसके स्थान पर अब INAS-350 में सी किंग 42C हेलीकॉप्टरों को तैनात किया जाएगा। यादगार के रूप में इनमें से एक हेलीकॉप्टर विशाखापत्तनम में प्रमुख स्थान पर स्थायी रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। जो आने वाले दिनों में भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। विशाखापत्तनम के INS डेगा पर विदाई समारोह में 17 साल की शानदार सेवा के बाद UH-3H हेलीकॉप्टर को विदाई दी गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल समीर सक्सेना ने की।
UH-3H स्क्वाड्रन के अनुभवी अधिकारी और नाविक हेलीकॉप्टर की महान सेवा को याद करते हुए परिवारों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए। UH-3H हेलीकॉप्टर के स्थान पर अब INAS-350 में सी किंग 42C हेलीकॉप्टरों को तैनात किया जाएगा। विकसित और गतिशील समुद्री वातावरण में UH-3H की परिचालन भूमिका भारतीय नौसेना विमानन के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज रहेगी। भारत ने अमेरिका से छह UH-3H हेलीकॉप्टर 2007 में खरीदे थे। जिन्हें नौसेना के जहाज ‘जलाश्व’ के साथ 24 मार्च, 2009 को विशाखापत्तनम में INS डेगा पर लाया गया था।
भारतीय तटों पर लाए जाने के बाद इन्हें ‘सारस’ नाम से INAS 350 में शामिल किया गया था। इस बहुमुखी हेलीकॉप्टर ने मानवीय सहायता और आपदा राहत संचालन, अपतटीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और विशेष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शक्तिशाली ‘सारस’ हेलीकॉप्टर ने अपनी प्रतिबद्धता को पूरी लगन से निभाया, सतर्क निगरानी बनाए रखी और अटूट समर्पण के साथ हमारे देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की। इसीलिए यादगार के रूप में एक ‘सारस’ हेलीकॉप्टर को सिटी ऑफ डेस्टिनी (विशाखापत्तनम) में प्रमुख स्थान पर स्थायी रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। जो आने वाली भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
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