नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद जारी चुनावी हिंसा की जांच करने के लिए भाजपा में 4 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। जांच में जो बातें निकल कर सामने आई हैं, वह चौंकाने वाली हैं। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रशासनिक मिलीभगत से प्रताड़ित किया जा रहा है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट व उन्हें प्रताड़ित करने जैसी तमाम खबरें आ रही थीं। जिसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 15 जून को त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब के नेतृत्व में 4 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। इस टीम में बिप्लब कुमार देब के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, राज्यसभा सांसद व यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल और सांसद कविता पाटीदार का नाम भी शामिल था।
कमेटी ने शुक्रवार को सौंपी रिपोर्ट
जांच कमेटी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ममता बनर्जी सरकार में पश्चिम बंगाल राजनीतिक हिंसा के दौर से गुजर रहा है। यहां बम बाजी, बलात्कार, महिलाओं और बच्चों के साथ हिंसा जैसी बातें सामान्य हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ अपहरण, हत्या और मारपीट जैसी घटनाएं होती हैं। यहां सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं की रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती। पुलिस सत्ता के दबाव में कार्य करती है। यह बेहद शर्मनाक है।
ममता राज में बंगाल मिनी पाकिस्तान बन गया- जांच कमेटी
रिपोर्ट में कहा गया है कि ममता राज में पश्चिम बंगाल मिनी पाकिस्तान बन गया है। यहां भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्रविरोधी तत्वों जैसा बरताव किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के दौरान पूरे देश में कहीं भी राजनीतिक हिंसा नहीं हुई, लेकिन ममता राज में बंगाल में तीन प्रकार से हिंसा हो रही है। पहला वहां किसी विपक्षी दल के समर्थक वोट नहीं डाल सकते। किसी को भी टीएमसी के खिलाफ नामांकन करने की अनुमति नहीं है। साथ ही अगर इन दोनों बातों को कोई नहीं मानता है, तो उनके साथ क्रूर व्यवहार किया जाता है।
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कमेटी ने दिए सुझाव
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने बंगाल में हिसा रोकने के लिए सीआरपीएफ की तैनाती और तैनाती का कार्यकाल बढ़ाने का सुझाव दिया है। साथ ही भाजपा कार्यालयों की सुरक्षा को बढ़ाने, व विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर पीड़ित भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की पहचान कर उन्हें उचित मुआवजा देने, कोर्ट से न्याय दिलाने, केंद्रीय जांच एजेंसियों से जांच व जिम्मेदार नौकरशाहों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है।