चीन द्वारा निर्मित नेपाल के दो इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण कार्य की जांच के लिए दो अलग-अलग संसदीय समिति का गठन किया गया है। समिति को दोनों ही एयरपोर्ट की गुणवत्ता और चीनी ठेकेदारों को दिए गए भुगतान की पूरी जांच करने का अधिकार दिया गया है। बता दें कि ये दोनों ही एयरपोर्ट उद्घाटन के दो वर्ष बाद भी अब तक संचालन में नहीं आ पाएं हैं।
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निर्माण कार्य की जांच के लिए बनाई गई दो अलग-अलग समिति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नेपाली संसद की सार्वजनिक लेखा समिति ने चीन के ऋण से बनाए गए पोखरा अंतर्राष्ट्रीय विमानस्थल और एशियाई विकास बैंक के ऋण पर चीनी कंपनी द्वारा भैरहवा में बनाए गए गौतम बुद्ध इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण कार्य की जांच के लिए दो अलग-अलग समिति बनाई है।
पोखरा एयरपोर्ट के लिए 12 सदस्यीय समिति
सार्वजनिक लेखा समिति के अध्यक्ष ऋषिराम पोखरेल की दी जानकारी के मुताबिक पोखरा विमानस्थल की जांच के लिए राजेन्द्र लिंग्देन की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति बनाई गई है। इसमें अर्जुन नरसिंह केसी, गोकुल प्रसाद बांस्कोटा, तारा लामा तामांग, जनार्दन शर्मा, तेजुलाल चौधरी, दीपक गिरी, देव प्रसाद तिमल्सिना, प्रेम बहादुर आले, राम कृष्ण यादव, लेखनाथ दाहाल और रुक्मिणी राना बराइली को रखा गया है।
भैरहवा एयरपोर्ट के लिए 8 सदस्यीय समिति
इसी तरह भैरहवा स्थित गौतम बुद्ध इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जांच के लिए योगेश भट्टराई की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय समिति बनाई गई है। इस समिति में अच्युत प्रसाद मैनाली, बिक्रम पाण्डे, अमरेश कुमार सिंह, मञ्जु खांड, श्याम कुमार घिमिरे, मनीष झा और सराज अहमद फारुकी को शामिल किया गया है। लेखा समिति के अध्यक्ष ने कहा कि जांच का काम कल से ही शुरू किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला
दरअसल इन दोनों ही एयरपोर्ट को बने काफी अरसा हो गया है लेकिन अभी तक यहां से एक भी व्यवसायिक विमान ने उड़ान नहीं भरी है। नेपाल ने इसके लिए चीन से करोड़ों डॉलर का लोन भी ले रखा है।
नेपाल के पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बनाने में 21 करोड़ 60 लाख डॉलर खर्च हुए हैं। ये पैसा चीन ने नेपाल को दिया था। वहीं भैरहवा एयरपोर्ट को भी चीन के ठेकेदार ने ही बनाया है। इसे 2022 में बनाना शुरू किया गया था। इसे बनाने में 4 साल का समय लगा, जो निर्धारित समय से काफी ज्यादा था। नेपाल को उम्मीद थी कि इन दोनों ही एयरपोर्ट के बन जाने से सैलानियों की संख्या बढ़ेगी और जमकर कमाई होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।