नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के मोहनलालगंज से सांसद आरके चौधरी की अजीबोगरीब मांग पर राजनीति तेज हो गई है। सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर मांग की थी कि लोकसभा में स्थापित सेंगोल को हटाया जाए। जिसके बाद से विवाद बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर भाजपा व उसके सहयोगी दल सपा पर हमलावर हैं। भाजपा ने सपा सांसद के इस मांग को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका बताया है।
दरअसल, सपा सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला को पत्र लिखकर संसद भवन में स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग किया है और इस जगह पर संविधान की प्रति रखने का अनुरोध किया है। आरके चौधरी का कहना है कि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। जिसे संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया गया था। सेंगोल के खिलाफ सपा नेता के इस बयान की खूब आलोचना हो रही है।
सपा सांसद आरके चौधरी की सेंगोल पर की गई टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री व जेडीयू नेता राजीव रंजन (ललन) सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले उनके बारे में बात करना चाहिए जिनके साथ वे खड़े हैं, न कि संविधान के बारे में। वहीं, अपना दल प्रमुख व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जब संसद में सेंगोल की स्थापना हुई थी, तब भी समाजवादी पार्टी सदन में थी, उस समय उनके सांसद क्या कर रहे थे? तब विरोध नहीं किया तो अब क्यों विरोध कर रहे हैं?
केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि सपा के जो सांसद ऐसा कह रहे हैं, उन्हें पहले संसदीय परंपराओं के बारे में जानना चाहिए, फिर कोई बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सपा सांसद जिस सेंगोल को हटाने की बात कर रहे हैं, वह स्वाभिमान का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि कहीं न कहीं उन्हें संविधान और संसदीय परंपराओं पर गौर करना चाहिए।
वहीं, गोरखपुर से भाजपा के सांसद रवि किशन ने कहा कि सपा के सांसद कुछ भी कह सकते हैं। वे तो भगवान राम की जगह लेना चाहते हैं, पिछले दिनों उन्होंने अपने सांसद की तुलना भगवान राम से की थी। इन बातों का कोई मतलब नहीं है। भाजपा नेता सीआर केसवन ने कहा है कि आरके चौधरी की टिप्पणी अपमानजनक है। उन्होंने संसद की पवित्रता को भी कमजोर किया है।
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केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि पीएम मोदी ने जो भी किया है सही किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सेंगोल को संसद में ही रहना चाहिए। भाजपा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि सेंगोल को संसद में होने का विरोध करने वालों को इसके मूल्य और राजनीतिक निहितार्थों का पता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह इस देश के शासन में नैतिक मूल्यों की स्थापना का प्रतीक है। यह सेंगोल इसलिए यहां है कि’ कोई भी प्रधानमंत्री अराजकता, तानाशाही और आपातकालीन व्यवस्था स्थापित नहीं कर सकता।