लखनऊ: लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती चिंतित हैं। हार की समीक्षा करने के लिए उन्होंने रविवार को देश भर से पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। मायावती पदाधिकारियों के साथ चिंतन करेंगी कि किन कारणों के चलते बीएसपी का प्रदर्शन खराब रहा। राजधानी लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित बसपा कार्यालय पर होने वाली इस बैठक में पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है।
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। अबकी बार बहुजन समाज पार्टी का एक भी प्रत्याशी जीत कर लोकसभा नहीं पहुंच सका है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 10 सीटे जीतने में कामयाब रही थी। लेकिन, उसके बाद से बसपा का ग्राफ नीचे गिरता चला गया। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई। यूपी की 405 विधानसभा सीटों में से बसपा का सिर्फ1 ही विधायक जीत सका।
8 प्रतिशत पर पहुंच गया बसपा का वोट शेयर
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को अब तक का सबसे अधिक नुकसान हुआ। जहां पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, वहीं वोट शेयर में भारी गिरावट देखी गई। बसपा का कोर वोट बैंक माना जाने वाला जाटव समाज भी बड़े स्तर पर कटा। जिसके चलते वोट शेयर 8 प्रतिशत पर आकर पहुंच गया।
बसपा से सिर्फ जाटव ही नहीं कटा, बल्कि बड़े स्तर पर दलित समुदाय ने मुंह मोड़ कर भाजपा और विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशियों को वोट किया। जिसका सबसे अधिक लाभ सपा-कांग्रेस के गठबंधन को मिला। दोनों दलों ने मिलकर यूपी में 43 सीटें जीतीं।
कहीं भी बसपा प्रत्याशी टक्कर में नहीं दिखे
बसपा के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर लड़े उसके प्रत्याशी कहीं भी टक्कर में नहीं दिखे। कोई भी प्रत्याशी दूसरे नंबर तक नहीं पहुंचा। इसी को देखते हुए मायावती ने 23 जून को सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है।
बसपा संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी
माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद बसपा संगठन में बड़े बदलाव हो सकते हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आकाश आनंद को उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है। जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें अपरिपक्व नेता बताते हुए संगठन की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया था।