इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन कानून को लेकर एक फैसले में अहम टिप्पणी की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन विरोधी कानून प्रारंभिक चरण में है। यह समाज में व्याप्त कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है। अगर अदालत अभियोजन कार्रवाई में हस्तक्षेप करेगी तो यह कानून अपना उद्देश्य हासिल करने में सफल नहीं हो पाएगा।
इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट में जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने धर्म बदलने के लिए दबाव डालने की आरोपी महिला रुक्सार को राहत देने से इनकार करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
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क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में एक हिंदू युवती को शादी का झांसा देकर पहले तो रहमान ने उसका शारीरिक शोषण किया, फिर उसपर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला। इस बीच रहमान की रुक्सार से शादी हो गई। इस मामले में युवती की तहरीर पर आरोपी दो सगे भाईयों रहमान और इरफान के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 30 मार्च 2024 को उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। बुर्का पहनाकर ट्रेन में कर्वी के लिए बैठा दिया। वहां रहमान ने फिर दुष्कर्म किया और भेद खोलने पर परिवार को जान से मारने की धमकी दी।
याचिकाकर्ता महिला यानि दुष्कर्मी रहमान की पत्नी के वकील ने कोर्ट में कहा कि वो महिला है इसलिए उसे राहत दी जाए, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता पर इस्लाम कबूल करने और अपने पति के भाई से निकाह करने के लिए दबाव डालने का आरोप है। ऐसे मामले में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।