विश्व की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर वापस लौट रहे सैकड़ों पर्वतारोही मौसम खराब होने की वजह से बेस कैंप में फंस गए हैं। नेपाल में मॉनसून आने की वजह से वहां का मौसम बिगड़ गया है। बर्फीली हवाओं के बीच फंसे इन पर्वतारोहियों को अब सिर्फ मौसम खुलने का इंतजार है, क्योंकि खराब मौसम के कारण बेस कैंप का सबसे करीब का एयरपोर्ट लुक्ला (तेनजिंग हिलेरी विमानस्थल) पिछले 10 दिनों से बंद है।
पर्वतारोहियों में नेपाल के अलावा अन्य देशों के भी नागरिक
माऊंट एवरेस्ट से उतरने वाले पर्वतारोहियों में नेपाल के अलावा अन्य देशों के भी नागरिक शामिल हैं। मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक लुक्ला के मौसम में सुधार के कोई संकेत नहीं है। वहीं लुक्ला के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर दिवेश दाहाल का कहना है कि 8 जून से एक भी विमान ने उड़ान नहीं भरी है।
बता दें कि लुक्ला एयरपोर्ट बंद होने के कारण सभी होटल फुल हैं, जिस कारण सैकड़ों पर्यटकों को रूम नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे लोगों का ध्यान रखते हुए प्रशासन ने होम स्टे सुविधा उपलब्ध कराई है।
हवाई मार्ग और पैदल मार्ग से पहुंचा जा सकता है वापस काठमांडू
पर्वतारोहियों को बेस कैंप से एवरेस्ट चोटी पर चढ़ाई कराने वाले सोनाम शेरपा ने बताया कि कुछ पर्यटकों को पास के ही सुर्के हेलीपैड तक पहुंचाया जा रहा है। सुर्के हेलीपैड के लिए लुक्ला से दो घंटे की कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यहां से एक हेलीकॉप्टर में एक बार में पांच लोगों को ही काठमांडू तक ले जाया जाता है। सुर्के से काठमांडू का हेलीकॉप्टर किराया 3000 डॉलर है।
सोनाम शेरपा ने बताया कि दूसरा रास्ता सड़क मार्ग है। लुक्ला से सड़क मार्ग जहां से जुड़ा है, वहां पहुंचने के लिए पर्वतारोहियों को करीब चार घंटे की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। कच्ची और ऊबड़-खाबड़ रोड होने के कारण सिर्फ बोलेरो और सूमो जैसी गाड़ियां ही वहां चल पा रही हैं। लुक्ला से 70 किलोमीटर दूर थामेडांडा है। थामेडांडा से काठमांडू का किराया 4000 रुपए है।