रविवार को वाराणसी में गंगा दशहरा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यहां के दशाश्वमेधघाट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन हुआ। गंगा सेवा निधि की ओर से आयोजित इस महाआरती में 11 अर्चकों और रिद्धी-सिद्धी के रूप में 22 कन्याओं ने अपनी भागीदारी की। गंगा आरती के लिए 30 क्विंटल फूल-मालाओं और 11,001 दीपों से दशाश्वमेध घाट को सजाया गया था। महाआरती के पहले 51 लीटर दूध से मां गंगा का अभिषेक किया गया था।
काशी के घाटों पर फैली दीपों की रोशनी देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही। इस दौरान तमाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने स्वच्छ गंगा, निर्मल गंगा और अविरल गंगा का संकल्प भी लिया।
अयोध्या मंदिर में रामभक्तों ने समर्पित किया 1100 किग्रा का धनुष और 1600 किग्रा की गदा
उधर,, राजस्थान से निकली यात्रा का अयोध्या में भव्य स्वागत किया गया। 108 बसों में सवार होकर आयोध्या आए इन रामभक्तों ने पंचधातु से निर्मित 1100 किलोग्राम के विशाल धनुष और 1600 किलोग्राम की गदा भगवान श्रीराम को समर्पित की।
राजस्थान के सुमेरपुर के शिवगंज से निकली ये भव्य यात्रा रविवार को भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या पहुंची। श्रीराम रथ पर पंचधातु से निर्मित 1100 किलोग्राम के विशाल राम धनुष और 1600 किलोग्राम की हनुमान गदा के साथ श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने पर श्रीराम मंदिर की ओर से जोरदार स्वागत हुआ।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पांच पड़ाव पार करके ये यात्रा अयोध्या पहुंची है। उन्होंने कहा कि ये धनुष व हनुमान गदा राम मंदिर परिसर में स्थापित होंगे। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का दूसरा पड़ाव श्रीश्री माधव धाम कानोता जयपुर, तीसरा पड़ाव आगरा में दक्षिणी हनुमान मंदिर के पास और चौथा पड़ाव रामस्वरूप इंजीनियरिंग कॉलेज लखनऊ रहा है। इसके बाद पांचवा और अंतिम पड़ाव अयोध्या रहा।
इस रथ यात्रा में आई 1600 किलोग्राम की हनुमान गदा और 1100 किलोग्राम का राम धनुष,, अयोध्या के भव्य मंदिर में समर्पित किया गया। पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास के आवास पर डॉ सरस्वती गौर ने गदा और धनुष उनके हवाले किया।