नई दिल्ली- राजधानी दिल्ली पहले ही जल संकट की मार से जूझ रही है। जिसका अभी कोई ठोस विकल्प नहीं निकल सका है। वहीं अब यहां के लोगों को बिजली का भी संकट भी झेलना पड़ रहा है। क्योंकि मंगलवार को यूपी के मंडोला में पावर ग्रिड के सब-स्टेशन में आग लग गई। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ा। ये दिल्ली का दुर्भाग्य है कि उसे इन दोनों चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
उधर पानी का मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अब बिजली की लड़ाई भी शुरू हो गई। बता दें कि मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मंडोला में पावर ग्रिड के सब-स्टेशन में आग लग गई। जिसके कारण दिल्ली के कई इलाकों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ा। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने उर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को इसकी जानकारी दी।
खट्टर को लिखे पत्र में आतिशी ने कहा कि मंगलवार दोपहर 2 बजकर 11 मिनट पर ग्रिड के फेल होने से दिल्ली के कई इलाकों वजीराबाद, कश्मीरी गेट, गीता कालोनी, हर्ष विहार, राजघाट, नरेला और गोपालपुर में लोगों को 2 घंटों तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने खट्टर से इसपर कार्रवाई करने की मांग की है जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा ना उत्पन्न हो सके। राजधानी दिल्ली पानी ही नहीं बल्कि बिजली के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहती है।
यूपी के मंडोला में जिस पावर ग्रिड में आग लगी वो दिल्ली को 1500 मेगावाट बिजली सप्लाई करता है। इतना ही नहीं बल्कि यूपी के NTP दादरी से 756 मेगावट और NTPC दादरी-2 से 728 मेगावाट बिजली सप्लाई होती है। वहीं हरियाणा के झज्जर थर्मल प्लांट से दिल्ली को 693 मेगावाट बिजली मिलती है।
इसके अलावा सासन से 446 मेगावाट, NTPC रिहंद से 358 मेगावाट, NTPC सिंगरौली से 300 मेगावाट, कहलगांव से 157 मेगावाट, एसजेवीएनएल नाथपा झाकरी से 142 मेगावाट, NTPC ऊंचाहार से 100 मेगावाट के साथ ही कुछ अन्य पावर प्लांट से भी दिल्ली को बिजली मिलती है। दिल्ली को पूरे देश से 50 से अधिक उत्पादन इकाइयों से बिजली प्राप्त होती है। इसके लिए एक विशाल ट्रांसमिशन लाइन की भी आवश्यकता है, जिससे राजधानी दिल्ली तक बिजली पहुंच सके।
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