ब्रिटेन की प्रमुख ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने चोरी हुई 500 साल पुरानी एक संत की कांस्य मूर्ति को वापस भारत लौटाने पर सहमति जताई है। कहा जाता है कि ये मूर्ति तमिलनाडु के एक मंदिर से चोरी हुई थी। मूर्ति दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत तिरुमंकई अलवर की है। अभी ये मूर्ति फिलहाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एशमोलियन म्यूजियम में रखी हुई है। भारत सरकार ने 4 साल पहले इसे वापस पाने के लिए जरूरी कागजातों सहित ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी को आवेदन किया था।
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अप्रूवल के लिए चैरिटी आयोग को प्रस्तुत किया जाएगा फैसला
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एशमोलियन म्यूजियम की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि “11 मार्च 2024 को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी काउंसिल ने एशमोलियन संग्रहालय से संत तिरुमंकाई अलवर की 16वीं शताब्दी की कांस्य मूर्ति की वापसी के लिए भारतीय उच्चायोग के दावे का समर्थन किया है। यह अब अप्रूवल के लिए चैरिटी आयोग को प्रस्तुत किया जाएगा।”
संत की 60 सेमी ऊंची प्रतिमा को 1967 में डॉ. बेलमोंट नाम के एक कलेक्टर के कलेक्शन से सोथबी के नीलामी घर से विश्वविद्यालय के एशमोलियन संग्रहालय द्वारा लिया गया था। जानकारी के अनुसार एक स्वतंत्र शोधकर्ता ने इस प्राचीन प्रतिमा की ओरिजिन के बारे में बताया था, जिसके बाद भारतीय उच्चायोग को अलर्ट किया गया था। भारत सरकार ने तमिलनाडु के मंदिर से चोरी हुई कांस्य की मूर्ति के लिए ब्रिटेन के संग्रहालय को फॉर्मल रिक्वेस्ट भेजी थी। बता दें इससे पहले भी चुराई गई कई भारतीय कलाकृतियों को ब्रिटेन से वापस भारत लाया जा चुका है।
रिसर्च स्कॉलर ने किया था दावा
नंवबर 2019 में रिसर्च कर रहे छात्र ने इस ऐतिहासिक मूर्ति के ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के म्यूजियम में होने का दावा किया था। उसने अपने दावों के समर्थन में सबूत भी दिए थे। इन्हीं सबूतों के आधार पर फरवरी 2020 में मूर्ति शाखा की CID ने ब्रिटेन स्थित भारतीय दूतावास को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रेषित की। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि ऑक्सफॉर्ड के एशमोलियन म्यूजियम में मौजूद संत तिरुमंकाई अलवर की प्रतिमा लगभग 500 साल पहले तमिलनाडु के कुम्भाकोणम नाम की जगह पर बने एक मंदिर से गायब हुई थी।
माना जा रहा है कि इस मूर्ति को मंदिर से लूटा गया था। भारतीय दूतावास के आवेदन पर विचार करते हुए एशमोलियन म्यूजियम ने एक बयान जारी किया। इस बयान में भारत की तरफ से पेश किए सबूतों को सही माना गया था। तब म्यूजियम ने बताया था कि मामले को अंतिम निर्णय के लिए चैरिटी आयोग के आगे भेजा जा रहा है।