नई दिल्ली- प्रख्यात कठपुतली कलाकार पद्मश्री मगुनी चरण कुआंर का आज सुबह ओडिशा के क्योंझर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। वे कई महीनों से बीमार चल रहे थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने शोक संदेश में कहा कि ओडिशा के क्योंझर के एक प्रख्यात कठपुतली कलाकार श्री मगुनी चरण कुआंर के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ।
उन्हें पारंपरिक कठपुतली नृत्य शैली को बढ़ावा देने के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। वे अपने पीछे एक प्रेरणादायक विरासत छोड़ गए हैं। उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। तो वहीं उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने शोक संदेश में कहा कि ओडिशा के क्योंझर के प्रसिद्ध कठपुतली कलाकार और पद्म श्री पुरस्कार विजेता मगुनी चरण कुआंर के निधन से दुखी हूं।
पारंपरिक कठपुतली नृत्य शैली के प्रति उनका समर्पण और योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं। उल्लेखनीय है कि कुआंर को पिछले वर्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया था।
बात दें कि ओडिशा में जन्में मगुनी चरण ने देश के कई शहरों में जाकर अपने हुनर का कमाल दिखाया। उन्होंने मुंबई, गुवाहाटी, दिल्ली, कोलकाता, सिक्किम, मेघालय, कूच बिहार, भोपाल, बेंगलुरु और अगरतला में कठपुतली का मंचन किया। वे कठपुतली के किरदारों के लिए संवाद भी लिखते थे। उनकी पहचान महज कठपुतली कलाकार तक ही सीमित नहीं रही।
उन्हें मिट्टी के मूर्तिकार, चित्रकार, लकड़ी के नक्काशकार और संवाद लेखक के रुप में भी जाना जाता हैं। पद्मश्री से सम्मानित होने से पहले उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया था। 1984 में उन्हें उड़ीसा संगीत नाटक अकादमी मिला और 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के हाथों संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला था।
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