AI Research:- यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के रीसर्चर्स ने इमारतों में बिजली की खपत को कम करने के लिए नया तरीका खोज निकाला है। इस तरीके से 25% तक बिजली बचाई जा सकती है। उन्होंने दीवारों के कोनों और खिड़कियों के आसपास 28 ऐसी प्रमुख जगहों की पहचान की, जहां गर्मी का सबसे ज्यादा नुकसान होता है। एक ऐसी बिल्डिंग की जांच की जिसमें कई परिवार रहते हैं। रिपोर्ट में पाया कि अगर 70% जगहों को ठीक कर दिया जाए तो 25% तक बिजली की बचत की जा सकती है।
इमारतों की दीवारों और खिड़कियों से हवा का रिसाव होने के चलते गर्मी निकल जाती है। जिससे रहने में असुविधा होती है और बिजली का खर्च भी अधिक बढ़ जाता है। जलवायु परिवर्तन से तापमान में बहुत तेजी से परिवर्तन होगा। जिससे यह समस्या और भी बढ़ सकती है। आमतौर पर इमारतों की जांच करने में अधिक समय लगता है और योग्य कर्मचारी कम होते हैं जो ऐसी जगहों की पहचान कर सके। इसलिए अधिकतर इमारतों में बिजली की खपत बहुत अधिक होती है।
इस समस्या को हल करने के लिए वाटरलू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इमारतों को जांचने का एक नया तरीका बनाया है। यह तरीका खुद चलता है और वास्तविक समय में जानकारी देता है। इस तरीके में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी और गणितीय मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है। यह मॉडल इमारत का विश्लेषण करता है और यह बताते है कि गर्मी किन जगहों से बाहर निकल रही है। रीसर्चर्स ने कनाडा में स्थित ऐसी बिल्डिंग की जांच की जिसमें कई परिवार रहते हैं।
वहां रहने वाले बुजुर्गों को असुविधा होती थी और उनका बिजली बिल भी अधिक आता था। क्योंकि उन्हें अपने घरों को गर्म रखने के लिए ज्यादा बिजली खर्च करनी पड़ती थी। उन्होंने AI टूल्स का इस्तेमाल कर प्रोग्राम को रियल टाइम में गर्मी की थर्मल इमेज की जांच करना सिखाया। यह प्रोग्राम इमारत की दीवारों से गर्मी के रिसाव को 81% सटीकता के साथ बता सकता है।
विश्वविद्यालय के आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग प्रोग्राम के निदेशक डॉ. मोहम्मद अरजी ने बताया कि AI वाले इस मॉडल की सटीकता लगभग 10% ज्यादा है। इससे रहने वालों को आराम मिलता है और बिजली की खपत भी कम होती है। उन्होंने यह भी बताया कि AI टूल्स की मदद से जांच के नतीजों में गलती के चांस भी कम रहते हैं।
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