Education:- IIT बॉम्बे देश के अलग-अलग ग्रामीण हिस्सों से 10वीं कक्षा की 160 लड़कियों को मुंबई कैंपस में ट्रेनिंग दे रहा है। जिससे ये छात्राओं अपने सपनों को एक नई उड़ान दे सके। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राजेश जेले ने बताया कि इस मुहिम का नाम है “वाइस”( वीमेन इन साइंस इंजीनियरिंग फ्रॉम रूरल पार्ट्स ऑफ इंडिया) है। पिछले वर्ष महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार से इसकी शुरूआत की थी।
इस वर्ष हमने गोवा, दमन-दीव और गुजरात के कुल 160 बच्चों को चुना है। 40 वॉलंटियर इस काम में लगे हैं। प्रोफेसर राजेश जेले ने बताया कि गांवों में 12वीं के बाद अक्सर लड़कियों की शादी कर दी जाती है। ये बड़ी नाज़ुक उम्र है। अगर इसी उम्र में इन्हें पता चल जाए कि साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स में कौन सा विषय चुनना उनके लिए सही रहेगा तो वे अपने लक्ष्य तक निश्चित ही पहुंच जाएंगी। महिलाओं की सहभागिता से ही देश की तरक्की होगी।
साइंस की समझ, ट्रेनिंग और अलग-अलग क्षेत्र के कई अचीवर्स की कामयाबी की कहानियां सुनकर ये बच्चियां अपनी दिशा तय कर रही हैं। गुजरात की रहने वाली एक छात्रा ने बताया कि परिवार वाले शादी-शादी बोलते रहते हैं लेकिन मुझे शादी के लिए नहीं अपने लिए पढ़ना है। कहा कि मैं आई सर्जन बनूंगी। दूसरी बच्ची दमन दीव से IIT बॉम्बे के सेशन के बारे में कहती है कि मुझे साइंस लेना है आगे। मैं कन्फ्यूज्ड थी इस सेशन के बाद मुझे लगता है साइंस की पढ़ाई में बहुत स्कोप है।
गोवा की एक बच्ची ने कहा कि बहुत इंस्पायरिंग है पूरा सेशन। मुझे पहले लगता था कि मैं IAS ही बनूं! लेकिन अब मैं न्यूरोसर्जन बनना चाहती हूं। इस ट्रेनिंग के बाद मेरी चॉइस बदल गई। काफी रियलिटी फेस करने को मिल रहे हैं। बच्चों की काउंसलिंग सेशन कर रहे प्रोफेसर बीजी फर्नांडिस बताते है कि हमारे टाइम पर इंटरनेट की सुविधाएं नहीं थी।
आज तमाम तरह की सुविधाएं हैं। बच्चे आज क्या नहीं कर सकते। पहले की अपेक्षा अब लड़कियों में भी बदलाव आ रहे हैं। पहले IIT में 2-3 लड़की एक क्लास में दिखती थी। लेकिन आज 25-30 लड़कियां दिख रही हैं तो हमारी कोशिश है हम लड़कियों को आगे बढ़ा सकें।
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