Prayagraj News- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ICICI Bank के अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से यह बताने का निर्देश दिया है, कि बैंक के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद ऋण मामले में वसूली एजेंटों की सेवाएं कैसे ली।
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बैंकों द्वारा ऋण वसूली के लिए एजेंटों की सेवाएं लिए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर य़ाचिका पर सुनवाई करते हुए ICICI Bank सवाल किया है। बता दें कि ICICI Bank बैंक के अधिकारी जसमिंदर चहल और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। इस दौरान न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा, आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारी इस तथ्य से अच्छी तरह से वाकिफ थे, कि वे किसी भी वसूली एजेंट को नियुक्त नहीं कर सकते और फिर भी उन्होंने वर्ष 2013 में वसूली एजेंटों की सेवाएं लीं, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय पारित करने के छह वर्ष बाद ऐसा किया गया।
बैंक के चेयरमैन को बनाया गया पक्षकार
ICICI Bank बैंक लिमिटेड बनाम प्रकाश कौर के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था, कि बैंक ऋण वसूलने के लिए वसूली एजेंटों की सेवाओं का उपयोग नहीं करेगा और उन्हें कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा। चूंकि बैंक के चेयरमैन धारा 482 के अन्तर्गत दायर याचिका में पक्षकार नहीं थे, इसलिए अदालत ने आवेदकों को उन्हें याचिका में पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी।
ये है पूरा मामला
राहुल सिंह नामक व्यक्ति ने ICICI बैंक से ऋण लिया था और बाद में ब्याज सहित पूरी ऋण राशि का भुगतान कर दिया था। पूरा भुगतान करने के बावजूद, बैंक ने उसे डिफॉल्टर के रूप में दिखाया, जिसके परिणामस्वरूप वह आगे ऋण या वित्तीय सहायता प्राप्त करने में विफल रहा। इससे उसके व्यवसाय में बाधा उत्पन्न हुई।
रिकवरी एजेंटों ने अपमानजनक टिप्पणी की
इसके अलावा, ICICI Bank ने कानपुर नगर में लोन लेने वाले के खिलाफ एक सिविल मुकदमा दायर किया और रिकवरी एजेंटों का इस्तेमाल किया, जो प्रतिवादी (उधारकर्ता) के अनुसार उसके पैतृक घर पर तब पहुंचे जब वह अमेरिका में था। उसके अनुसार रिकवरी एजेंटों ने अपमानजनक टिप्पणी की और समाज में उसकी छवि खराब की। इसलिए, इससे परेशान होकर, प्रतिवादी राहुल सिंह ने कानपुर नगर अदालत में एक आपराधिक शिकायत दर्ज की। इसमें आईसीआईसीआई अधिकारियों को समन जारी किया गया। इस सम्मन आदेश को आईसीआईसीआई अधिकारियों ने अपने खिलाफ चल रही पूरी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की।
नाराज हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
वहीं दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने ICICI Bank के चेयरमैन को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया, कि शिकायतकर्ता राहुल सिंह के खिलाफ सिविल मुकदमा कैसे दायर किया गया। खासकर तब जब ब्याज और फौजदारी शुल्क सहित पूरी ऋण राशि का भुगतान कर दिया गया था। शिकायतकर्ता को क्यों परेशान किया गया। चेयरमैन को यह भी बताने का निर्देश दिया गया, कि उनका बैंक अभी भी रिकवरी एजेंटों की सेवाएं कैसे ले रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से इस पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने इस याचिका पर 10 जुलाई 2024 को पुन सुनवाई करेगी।