New Delhi- भारत खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की तरफ से ह्यूमन मिल्क को तगड़ा झटका लगा है। FSSAI ने निर्देश जारी करते हुए, माना है कि मां के दूध की प्रोसेसिंग और बिक्री करना गलत है। साथ ही इसके कमर्शियलाइजेशन को भी गलत करार दिया गया है। इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है।
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एडवाइजरी में कहा गया है कि FSSAI ने FSS अधिनियम 2006 और इसके बनाए गए नियमों के अन्तर्गत मानव दूध की प्रोसेसिंग और बिक्री की अनुमति नहीं दी है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि मानव दूध और उसके प्रोडक्ट्स के कमर्शियलाइजेशन से रिलेटेड सभी गतिविधियों को तुरंत रोक दिया जाना चाहिए। अगर कोई भी ऐसा करता है, तो उसे FSS अधिनियम 2006 का उल्लंघन माना जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। FSSAI ने बताया कि कुछ कंपनियां डेयरी प्रोडक्ट की आड़ में मानव दूध का व्यापार कर रही हैं। ब्रेस्ट मिल्क को सिर्फ डोनेट किया जा सकता है, इसके बदले किसी भी तरह का पैसा या फायदा नहीं लिया जा सकता। डोनर ह्यूमन मिल्क की बिक्री नहीं की जा सकती है और ना ही कर्मशियल यूज कर सकते हैं। अगर शिशु और मां ब्रेस्ट फीडिंग के लिए स्वस्थ हैं तो यह फर्ज निभाना ही होगा।
मां का दूध बेचेन को नहीं मिलेगा लाइसेंस
FSSAI ने कहा कि इसके अलावा, राज्य और केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मां के दूध या मानव दूध के प्रोसेसिंग या बिक्री में शामिल ऐसे एफबीओ को किसी भी प्रकार का लाइसेंस नहीं दिया जाए।
उल्लंघन करने पर 5 साल की सजा और 5 लाख रुपए का जुर्माना
FSSAI ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि हाल ही के सालों में कुछ कंपनियां इस तरह के दूध की बिक्री और प्रोसेसिंग का काम कर रही हैं। कुछ कंपनियां डेयरी प्रोडक्ट का हवाला देकर FSSAI का लाइसेंस लेने में कामयाब हो गईं, अब ब्रेस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया ने सरकार से ऐसी कंपनियों का के खिलाफ कारवाई करने का अनुरोध किया है। उल्लंघन करने वालों को 5 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।