राजकोट के TRP गेमिंग जोन अग्निकांड मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गुजरात सरकार और प्रशासन पर तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
ये भी पढ़ें- केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से आत्मसमर्पण के लिए मांगी 1 सप्ताह की मोहलत, गंभीर बीमारी का दिया हवाला
कोर्ट में हुई सुनवाई
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि कम से कम दो और गेमिंग जोन बिना परमिट के 24 महीने से संचालित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता मनीषा लव कुमार शाह ने माना कि अहमदाबाद में दो और गेमिंग जोन को संचालित करने की परमिशन नहीं थी। कोर्ट ने पहले की कुछ घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि, हमने पिछले चार साल में कई फैसले और निर्देश दिए हैं। उसके बाद भी राज्य में छह घटनाएं हुईं हैं।
सुनवाई के दौरान राजकोट नगर निकाय ने अदालत में दावा किया कि उनसे मंजूरी नहीं ली गई थी। इस बात पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि ये ढाई साल से चल रहा है। हम मान लें कि आपने आंखें मूंद लीं? आप और आपके फॉलोअर्स क्या करते हैं? दरअसल बीते दिन 26 मई को गुजरात हाईकोर्ट ने TRP गेमिंग जोन अग्निकांड मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस देवेन देसाई की स्पेशल बेंच ने हादसे को मानव निर्मित आपदा बताया था।
नगर निगम अधिकारियों और पुलिस अफसरों समेत 6 लोग सस्पेंड
उधर बार एसोसिएशन ने फैसला किया है कि कोई भी वकील राजकोट गेमिंग जोन अग्निकांड के आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा। बता दें कि इस मामले में नगर निगम अधिकारियों और पुलिस अफसरों सहित कुल 6 लोगों को सस्पेंड भी कर दिया गया है।