Education:- बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। बुद्ध के जीवन की ऐसी कई घटनाएं हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ सीख देती हैं। ऐसी ही एक घटना तब की है जब गौतम बुद्ध के शिष्य आनंदतीर्थ को एक वेश्या ने अपने घर में ठहरने के लिए आमंत्रित किया।
पढ़ें पूरी कहानी—
गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ लगातार यात्रा पर रहते थे। उन्होंने नियम बनाया था कि मॉनसून के महीने में आप एक ही जगह ढाई महीने के लिए रह सकते हैं। लेकिन, उन संन्यासियों और भिक्षुओं के लिए एक नियम था कि दो दिन से ज्यादा उन्हें एक जगह नहीं रहना चाहिए। आमतौर पर भिक्षुओं को घरों में आसरा दिया जाता था इसलिए उन्होंने यह नियम बनाया था जिससे किसी परिवार पर उनका बोझ न पड़े। उस समय संन्यासी और भिक्षु आने जाने के लिए जंगल के रास्ते का प्रयोग करते थे।
लेकिन, मॉनसून के महीने में जंगल के रास्ते भी काफी खतरनाक हो जाते हैं। एक दिन बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक गांव में पहुंचें। जहां उनके शिष्य अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे। बुद्ध के शिष्य आनंद को एक वेश्या ने अपने घर में रहने के लिए आमंत्रित किया। वेश्या बेहद खूबसूरत थी। आनंद ने उससे कहा कि वह उसके घर पर रह सकता है। पर इसके लिए उसे बुद्ध से अनुमति लेनी होगी। वेश्या ने पूछा- क्या तुम्हें इसके लिए सचमुच अपने गुरू से अनुमति लेनी होगी?
इस पर शिष्य ने कहा नहीं, मैं जानता हूं कि बुद्ध मेरी बात मान जाएंगे। लेकिन उनसे पूछना मेरा कर्तव्य है। ऐसा कहकर आनंद बुद्ध के पास पहुंचे। उन्होंने बुद्ध से कहा इस गांव में तीन दिनों के विश्राम के दौरान एक स्त्री मुझे अपने घर पर आमंत्रित कर रही है। लेकिन वह स्त्री एक वेश्या है। क्या मैं उसके आमंत्रण को स्वीकार कर सकता हूं? बुद्ध ने आनंद की ओर मुस्कराकर देखते हुए कहा- अगर वह तुम्हें इतने प्यार से आमंत्रित कर रही है, तो तुम्हें उसके निमंत्रण को ठुकराना नहीं चाहिए।
जाओ और आराम से उसके घर रहो। बुद्ध की यह बात दूसरे शिष्यों को बिल्कुल न भाई। उन्होंने बुद्ध से सवाल पूछा- आप आनंद को एक वेश्या के घर कैसे भेज सकते हैं? यह भिक्षुओं के आचरण के खिलाफ है। बुद्ध ने जवाब दिया- तुम लोग थोड़ा इंतजार करो! तुम्हें तीन दिनों में अपने सवाल का जवाब मिल जाएगा। इस पर सारे शिष्य चुप हो गए। फिर आनंद अगले तीन दिनों के लिए उस वेश्या के घर रहने चले गए और बाकी के शिष्य आनंद की जासूसी में लग गए और सारी बातें बुद्ध के कान में डालने लगे।
बुद्ध शालीन मुस्कान लिए चुप रहे यानी बुद्ध सिर्फ इन बातों को सुनते थे। पहले दिन वेश्या के घर से आनंद और महिला के गाने की आवाज आई। एक भिक्षु का वेश्या के साथ यूं गाना। यह बहुत नई बात थी। शिष्यों ने कहा- बस यह तो गया! पर दूसरे दिन घर से गाने के साथ नाचने की भी आवाजें आने लगी। अब सारे शिष्य एक स्वर में कहने लगे- अब तो यह पक्का ही गया! तीसरे दिन तो सचमुच ही उन्होंने खिड़की से आनंद और उस महिला को नाचते-गाते देख लिया।
जिसके बाद सबका यह अनुमान था कि आनंद इतनी मौज में है, तो वह भिक्षुओं के साथ आगे की यात्रा पर नहीं आएगा। अगले दिन सभी भिक्षु कानाफूसियों के बीच एकत्रित हुए। सभी ने आनंद के आने की उम्मीद छोड़ दी थी। सभी सोच रहे थे कि वह इतनी सुंदर स्त्री का साथ छोड़ भला भिक्षुओं के साथ क्यों आएगा। परंतु तभी सब ने आनंद को एक सुंदर स्त्री के साथ अपनी ओर आते देखा। वह सुंदर स्त्री एक महिला भिक्षुक का रूप धारण किए हुए थी।
बुद्ध उसे देखकर मुस्करा रहे थे जबकि बाकी विस्मित होकर खुले मुंह से आनंद और उस महिला भिक्षुक को निहार रहे थे। बुद्ध ने आनंद की पीठ पर हाथ रखते हुए भिक्षुओं को संबोधित किया- अगर आपको खुद पर भरोसा है, तो आपको कोई भ्रष्ट नहीं कर सकता। बल्कि अगर आपका चरित्र बलवान है, तो आप भ्रष्ट को भी चरित्रवान बना सकते हैं। ऐसा कहते हुए बुद्ध ने वेश्या से भिक्षुक बनी महिला का स्वागत किया। जिसके बाद सभी लोग आगे की यात्रा के लिए रवाना हो गए।
बुद्ध और आनंद की यह कहानी हमें प्रेरणा देती है कि यदि हमारी इच्छाशक्ति मजबूत है, तो हम किसी भी स्थिति के गुलाम नहीं हो सकते! यह बहुत मजेदार बात है कि खोट तो हमारे अपने दिल में होता है और शक हम दूसरों पर करते हैं। अपने दिल को साफ रखेंगे, तो दुनिया भी हमें साफ नजर आएगी। किसी किताब को कभी उसके कवर से न आंकिए। इस बात को समझ लें कि हम अगर पारदर्शी जीवन जिएं! तो हमें किसी कवर की तनिक भी जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
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