धरती पर पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के बीच संतुलन स्थापित करना बेहद जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए लोगों को जागरुक करने के मकसद से हर साल एक खास थीम के साथ 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (International Biodiversity Day) मनाया जाता है।
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वर्तमान समय में प्रदूषण और प्रकृति के बदलते मिजाज के कारण पृथ्वी का पारिस्थितिकी तंत्र काफी खराब हो चुका है। मानवीय दखल के कारण पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को काफी नुकसान पहुंच रहा है। साधारण लोगों की तरह ही ये जीव-जंतु और पैड़-पौधे भी इस धरती के अभिन्न अंग हैं। लोग अपने निजी स्वार्थ की खातिर पेड़-पौधों और वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को उजाड़ने पर तुले हुए हैं। यही कारण है कि अब ज्यादातर वन क्षेत्र नष्ट हो रहे हैं। इसके अलावा वन्य जीवों की असंख्य प्रजातियां या तो लुप्त हो चुकी हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं। पर्यावरण के इस असंतुलन का परिणाम ये है कि पिछले कुछ दशकों से पूरी दुनिया गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं और प्राकृतिक आपदाओं को देख भी रही है और उसे भुगत भी रही है।
बढ़ती आबादी और जंगलों के तेजी से होते शहरीकरण ने मनुष्य को इतना स्वार्थी बना दिया है कि वह प्राकृतिक साधनों के स्रोतों को भूल चुका है। वो भूल गया है कि इनके बगैर जीवन की कल्पना करना बिल्कुल असंभव है। हमें समय रहते सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने योग्य और जीवन यापन के योग्य बनाती है। इसलिए पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य है।
इस बार की थीम
दरअसल वर्ष 2000-2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव पारित करके अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाए जाने की घोषणा हुई। इस प्रस्ताव पर करीब 193 देशों ने हस्ताक्षर किए। तब से हर साल ये दिवस मनाया जाता रहा है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का विषय “Be part of the Plan” यानि “योजना का हिस्सा बनें” है। ये थीम इस बात पर जोर देती है कि हम सभी व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार हैं।