इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आतंकी संगठन अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट और जमात उल मुजाहिद्दीन से संबंध रखने वाले 11 आरोपियों को एकसाथ जमानत दे दी। दरअसल यूपी एटीएस की तरफ से 90 दिनों में इन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने सभी 11 आरोपियों का डिफॉल्ट बेल दे दी।
लखनऊ बेंच में जस्टिस ए आर मसूदी और जस्टिस मनीष कुमार निगम की डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट के इस आदेश के बाद जल्द ही सभी आरोपियों को रिहा कर दिया जाएगा।
क्या होती है डिफॉल्ट बेल ?
सीआरपीसी के कानूनी नियमों के मुताबिक अगर किसी आरोपी के खिलाफ 90 दिनों के अंदर पुलिस या संबंधित एजेंसी चार्जशीट दाखिल नहीं करती है तो आरोपी जमानत का हकदार हो जाता है। इन परिस्थितियों में कोर्ट की तरफ से जो जमानत दी जाती है उसे डिफॉल्ट बेल कहा जाता है।
क्या है पूरा मामला ?
यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किए गए इन 11 आरोपियों के खिलाफ 90 दिन के अंदर चार्जशीट नहीं लगाई थी, जिसके बाद निचली अदालत से चार्जशीट के लिए और वक्त बढ़ाने के खिलाफ निचली अदालत में सभी आरोपियों ने लखनऊ की NIA कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी।13 फरवरी 2023 को NIA कोर्ट ने इन आरोपियों की बेल खारिज कर दी थी।
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील की थी। सुनवाई के बाद लखनऊ बेंच ने लुकमान, अब्दुल तल्हा, मोहम्मद अलीम, नवाजिश अंसारी समेत 11 आरोपियों को डिफॉल्ट बेल दे दी।
सहारनपुर, शामली और उत्तराखंड से गिरफ्तार हुए थे आरोपी
एनआईए ने 27 सितंबर 2022 को सहारनपुर, शामली और उत्तराखंड से 11 लोगों को अलकायदा का मददगार बताकर गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपियों में अब्दुल ताल्हा बांग्लादेश का रहने वाला था। वहीं गिरफ्तार होने वाला एक अन्य मोहम्मद अलीम बांग्लादेश के जमातुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन से जुड़ा बताया गया था।