नेपाल में इस समय राजनीतिक अस्थिरता का माहौल चल रहा है। यहां की वामपंथी दलों की गठबंधन की सरकार इस समय सियासी संकट से जूझ रही है। ऐसे में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने सदन में एक बार फिर से विश्वास मत साबित करने का फैसला लिया है। प्रचंड ने शुक्रवार सुबह नेपाल की संसद सचिवालय को जानकारी देते हुए बताया कि वे 20 मई को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करेंगे।
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‘प्रचंड’ और विपक्षी दलों के बीच लगातार हो रही बातचीत
दरअसल, नेपाल के संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सत्ता गठबंधन का अगर कोई भी दल सरकार से समर्थन वापस लेता है, तो प्रधानमंत्री को 30 दिनों के अंदर फिर से विश्वास मत हासिल करना होगा। बता दें कि अभी दो महीने पहले सत्ता पक्ष में सहभागी जनता समाजवादी पार्टी के विभाजन के बाद इसके एक धड़े ने सरकार से समर्थन वापस लिया था, जिसके बाद ‘प्रचंड’ एक बार फिर से सदन में विश्वास मत साबित करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
इस बीच प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ और विपक्षी दलों के बीच लगातार संवाद किया जा रहा है। प्रचंड ने शाम को विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया है।
दरअसल पिछले साल प्रचंड को उस समय भी शक्ति परीक्षण का सामना करना पड़ा था, जब नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल का राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करने को लेकर मतभेद हो गया था और बाद में उन्होंने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
लगातार कम हो रहा प्रचंड का समर्थन
बता दें कि विश्वास मत में प्रचंड के समर्थन में लगातार गिरावट आ रही है। जनवरी 2023 में उन्हें 268 वोट मिले थे। उसके बाद उसी साल मार्च में उन्हें 172 वोट मिले। तीसरी बार उनका समर्थन घटकर मात्र 157 वोट हो गया। अब वर्तमान में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास सीपीएन-यूएमएल की 77 सीटें, माओवादी सेंटर की 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की 21, नवगठित जनता समाजवादी पार्टी की 7, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस की 10 सीटों के साथ बहुमत है।