लखनऊ: लोकसभा चुनाव को लेकर देश भर में सियासी हलचल तेज है। वहीं, यूपी में भी इन दिनों दो लोकसभा सीट, कौशांबी और प्रतापगढ़ में आय दिन सियासी समीकरण बनते व बिगड़ते दिख रहे हैं। इन दोनों लोकसभा सीटों पर जनसत्ता दल प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का अच्छा खासा प्रभाव है।
कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली दो विधानसभा सीटों पर तो राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल का ही कब्जा है। जहां कुंडा से स्वयं राजा भैया विधायक हैं। वहीं, बाबागंज विधानसभा सीट से उनके पार्टी के नेता विनोद सरोज विधायक हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने राजा भैया से की मुलाकात
ऐसे में भाजपा व सपा दोनों दल राजा भैया का समर्थन हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने राजा भैया से मुलाकात कर प्रतापगढ़ व कौशांबी लोकसभा सीट पर उनसे समर्थन मांगा था। वहीं, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और कौशांबी से भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर राजा भैया की कुंडा स्थित बेती कोठी पहुंचे थे। दोनों बीजेपी नेताओं ने राजा भैया से मुलाकात उनसे समर्थन मांगा।
भाजपा नेताओं के अलावा, सपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज भी राजा भैया की कोठी पर पहुंचकर उनसे सहयोग मांगा था। भाजपा और सपा दोनों दल के प्रयासों के बाद भी राजा भैया ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। राजा भैया ने अपने समर्थकों से स्वेच्छा से मतदान करने की बात कही है। माना जा रहा है राजा भैया के इस निर्णय से भाजपा व सपा दोनों दलों को झटका लगा है।
राजा भैया के प्रभाव वाली 2 विधानसभा सीटों पर करीब 7 लाख मतदाता
आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बाबागंज विधानसभा में 3,26,171 मतदाता हैं। वहीं, कुंडा विधानसभा क्षेत्र में 3,64,472 वोटर्स प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं। इन दोनों विधान सभा सीटों पर राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल का कब्जा है। दोनों विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या अगर जोड़ दी जाए… तो करीब 7 लाख हो जाती है। ऐसे में किसी भी दल के लिए राजा भैया का समर्थन हासिल करना जरूरी हो जाता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में राजा भैया ने कौशांबी और प्रतापगढ़ से अपने पार्टी जनसत्ता दल के सिंबल पर प्रत्याशी उतारे थे। कौशांबी से शैलेंद्र कुमार को टिकट दिया था। जबकि, प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह को चुनाव लड़ाया था। कौशांबी से शैलेंद्र कुमार करीब 1 लाख 56 हजार मत मिले थे। वहीं, प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अक्षय प्रताप सिंह ने 46,963 वोट पाकर चौथा स्थान हासिल किया था। हालांकि, अबकि बार राजा भैया ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। इसी को देखते हुए बीजेपी, सपा और बसपा तीनों दल उनको अपने पाले में लाने के लिए प्रयासरत हैं।
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर राजघरानों का प्रभाव
वहीं, कौशांबी लोकसभा क्षेत्र से इतर अगर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट की बात करें…तो यहां की राजनीति राजघरना परिवारों के आसपास घूमती रही है। प्रतापगढ़ की राजनीति में तीन मुख्य राजघराने का दखल आजादी के बाद से अब तक रहा है। जिसमें पहला नाम आता है राय बजरंग बहादुर सिंह के परिवार का। राजा भैया भी इसी राजघराने से संबंध रखते हैं। राजा बजरंग बहादुर सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता और हिमाचल प्रदेश के गवर्नर थे। साथ ही वह स्वाधीनता की लड़ाई में सक्रिय रहे।
वहीं, दूसरा परिवार सोमवंशी क्षत्रिय राजा प्रताप बहादुर सिंह का है। इसी राजघराने के नाम पर ही प्रतापगढ़ का नाम पड़ा। तीसरा राजघराना कालाकांकर के राजा दिनेश सिंह का है, जो देश के वाणिज्य और विदेश मंत्री भी रहे हैं। कहा जाता है प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर जीत के लिए इन तीनों राज परिवारों का आशीर्वाद जरूरी होता है।
हालांकि, अबकी बार इन परिवारों से कोई भी प्रत्याशी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा है। लेकिन, देश में 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में से 10 बार प्रतापगढ़ की सीट पर इन राजघरानों का ही कब्जा रहा है। बीजेपी ने यहां से संगमलाल गुप्ता को फिर से प्रत्याशी बनाया है। जबकि सपा ने लखनऊ पब्लिक स्कूल के संस्थापक एसपी सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है।