यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में अमेरिकी नौसेना के विध्वंसक जहाज और वाणिज्यिक जहाज को निशाना बनाए जाने का दावा करने की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो युद्धपोत पर हमला बुधवार से करीब दो दिन पहले हुआ बताया जा रहा है। कहा ये भी जा रहा है कि इन जहाजों पर हुए मिसाइल अटैक को रोक दिया गया था।
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अमेरिका की ईरान को चेतावनी
उधर,, हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों को लगातार निशाना बनाए जाने को लेकर अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी है। अमेरिका का कहना है कि ईरान तत्काल यमन के हूती विद्रोहियों को हथियार देना बंद करे। अमेरिका ने ईरान से कहा है कि वह हूती विद्रोहियों को भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति करना बंद कर दे, क्योंकि इन हथियारों से लड़ाकों को लाल सागर और अन्य स्थानों पर जहाजों पर हमला करने में मदद मिलती है। बता दें कि यमन के हूती विद्रोहियों ने गाजा पर इजरायल के हमले के खिलाफ लाल सागर और अदन की खाड़ी में जहाजों को निशाना बनाए रखना जारी रखा है। अब तक यमन के हूती विद्रोही कई जहाजों को अपना निशाना बना चुके हैं।
इजरायल पर दबाव बनाना हूती विद्रोहियों का मकसद
वहीं,, हूती विद्रोहियों का कहना है कि लाल सागर और अदन की खाड़ी में उनके हमलों का उद्देश्य गाजा में युद्ध को समाप्त करने के लिए इजरायल पर दबाव बनाना है।
कौन हैं ये हूती विद्रोही
हूती यमन का एक शिया मिलिशिया ग्रुप है। इसका गठन 1990 में हुसैन अल हूती ने किया था। हूती विद्रोहियों ने यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उनके खिलाफ आंदोलन छेड़ा था। 2014 की शुरुआत में ये हूती यमन में राजनीतिक रूप से काफी मजबूत हो गए थे। इसके बाद इन्होंने सादा प्रांत पर नियंत्रण कर लिया था। साल 2015 की शुरुआत में हूतियों ने राजधानी सना पर भी कब्जा जमा लिया था। धीरे-धीरे हूती विद्रोहियों का यमन के एक बड़े हिस्से पर अधिकार हो गया।
हूती विद्रोहियों को ईरान का सहयोगी बताया जाता है, क्योंकि अमेरिका, इजरायल और सऊदी अरब इनके दुश्मन हैं। ईरान पर हूती की फंडिंग और हथियार मुहैया कराने के आरोप भी लगते आए हैं। वहीं हिज्बुल्ला इन हूती विद्रोहियों को ट्रेनिंग देता है। हूती लाल सागर के एक बड़े तटीय इलाके पर नियंत्रण रखते हैं और यहीं से वे जहाजों को निशाना बनाते हैं।
यमन की ज्यादातर आबादी हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है। उनका संगठन उत्तरी हिस्से में टैक्स वसूलता है और अपनी मुद्रा छापता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनुसार 2010 तक हूती विद्रोहियों के पास करीब सवा लाख लड़ाके थे।