Prayagraj News- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि अदालत में नौकरी कर रहे कर्मचारियों की धोखाधड़ी का न्याय प्रणाली पर दूरगामी हानिकारक प्रभाव पड़ता है और न्यायपालिका में जनता का विश्वास कम हो जाता है। खंडपीठ ने कथित तौर पर अदालती दस्तावेजों में जालसाजी करने के आरोप में अदालत के एक कर्मचारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी के अन्तर्गत दर्ज FIR को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां दी। बताते चलें कि याची पर आरोप है कि फर्जी रसीदों के आधार पर 304 जब्त वाहनों को रिलीज किया था।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोर्ट में कार्यरत कर्मचारी की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि याची के खिलाफ आरोप स्पष्ट रूप से एक संज्ञेय अपराध है, जो एफआईआर दर्ज करने और उस पर जांच को उचित ठहराता है। अदालत ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और जल्द से जल्द जांच पूरी करने के निर्देश के साथ याचिका खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने विशेष रूप से आईजी पुलिस, वाराणसी जोन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जांच अधिकारी कानून के तहत स्वीकार्य साक्ष्य एकत्र करने में सभी उपलब्ध वैज्ञानिक और फोरेंसिक सहायता का लाभ उठाएं।
जानिए क्या है मामला
बताते चलें कि याची सुरेश कुमार मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र की अदालत में वरिष्ठ सहायक के रूप में काम करते हुए अक्टूबर 2020 और मार्च 2023 के बीच एआरटीओ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से धोखाधड़ी की। फर्जी रसीदों के आधार पर 304 जब्त वाहनों को रिलीज किया गया और अदालती कार्यवाही में धोखाधड़ी करके सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया। मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई। जांच के दौरान, याचिकाकर्ता सहित आठ व्यक्तियों की भूमिका सामने आई और इसलिए, उन सभी को आरोपियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कार्यालय पर जताई नाराजगी
इस बात पर भी जोर दिया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र के कार्यालय की सक्रिय मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर संगठित धोखाधड़ी को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि जब अदालत के कर्मचारी व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं, तो यह न्यायिक निर्णयों की अखंडता से समझौता करता है और कानूनी कार्यवाही की वैधता पर सवाल उठाता है।
8 आरोपियों में से 2 को पकड़ पाई पुलिस
बताते चलें कि इस मामले में 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 8 में से दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दो को अंतरिम जमान मिल चुकी है। एक की मौत हो चुकी है और तीन आरोपियों की गिरफ्तारी अभी बाकी है। आरोप था कि याचिकाकर्ता समेत तीनों आरोपी फरार हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए, पुलिस उनके आवास और अन्य संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।