देव भूमि उत्तराखंड में गंगा सप्तमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस खास मौके पर हरिद्वार के हरकी पैड़ी में श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिला। गंगा सप्तमी पर देश के कई प्रांतों से आए भक्तों ने यहां के गंगा घाटों पर डुबकी लगाई और मां गंगा की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। गंगा सप्तमी पर कई जगहों पर धार्मिक आयोजन भी हुए।
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पौराणिक कथा के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शंकर की जटाओं में पहुंची थी। यही कारण है कि इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई, उसे गंगा सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुईं, वो दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहते हैं इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य हर तरह के दुखों से मुक्ति पा जाता है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। श्री गंगा सभा द्वारा भी गंगा सप्तमी पर विशेष आयोजन हुए। सुबह के समय मां गंगा का विशेष पूजन हुआ और आरती की गई। इसके बाद मां गंगा की शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें तीर्थ पुरोहितों के अलावा श्रद्धालु भी शामिल हुए।