देश के सैन्य कर्मियों को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। सैन्य पुरस्कारों की बात करें तो परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र पाना बड़े ही गौरव की बात होती है। ये सम्मान देश के शूरवीरों को उनके अदम्य साहस के लिए दिया जाता है।
ये भी पढ़ें- RBI ने BoB को दी बड़ी राहत, बॉब वर्ल्ड एप्लिकेशन के जरिए नए ग्राहक जोड़ने पर लगी पाबंदी हटाई
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान है, जो सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े लोगों को दिया जाता है। जब बात देश के वीर सपूतों की आती है, तो उसमें एक नाम परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव का भी आता है। उत्तर प्रदेश की धरती पर जन्म लेने वाले योगेंद्र सिंह ने 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना को ऐसा सबक सिखाया, कि उसे आज भी नहीं भुलाया जा सकता है।
यूपी के बुलंदशहर में हुआ था जन्म
10 मई 1980 को यूपी के बुलंदशहर में जन्मे योगेंद्र सिंह यादव को बतौर ग्रेनेडियर 1999 के कारगिल युद्ध में 18,000 फीट ऊंची टाइगर हिल के तीन महत्वपूर्ण बंकरों पर कब्जा करने की जिम्मेदारी मिली थी। 5 जुलाई, 1999 को जब 25 भारतीय सैनिक कारगिल की ओर आगे बढ़ रहे थे, तो उसी समय पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारे वीरों पर हमला बोल दिया। नतीजा ये हुआ कि मोर्चे पर जा रहे 25 में से सिर्फ 7 जवान ही रह गए। इनमें से एक योगेंद्र सिंह यादव भी थे।
पाकिस्तानी सेना को दिया मुंह तोड़ जवाब
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच जबरदस्त फायरिंग हुई। इस दौरान योगेंद्र सिंह यादव को छोड़कर उनके बाकी सभी साथी मौके पर ही बलिदान हो गए। इतना सब हो जाने के बावजूद योगेंद्र सिंह यादव का मन बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ। 15 गोलियां लगने के बावजूद योगेंद्र सिंह यादव युद्ध में डटे रहे और दुश्मन के तीन बंकर उड़ाने के साथ ही सभी पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया।
कारगिल युद्ध में उनके अदम्य साहस और पराक्रम को देखते हुए उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। योगेंद्र सिंह यादव फिलहाल अब सेना से रिटायर हो चुके हैं।