दूर दराज और अत्यधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना को जरूरी सामान मुहैया कराने के लिए ऐरावत ड्रोन का सहारा लिया जाएगा। इसके अलावा ये ड्रोन एयर एंबुलेंस का भी काम करेगा।
दरअसल हाई एल्टीट्यूड एरिया वाले इलाकों में भारतीय सेना को हथियार और सामान पहुंचाने में काफी दिक्कतें आती हैं। अभी तक इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सामान पहुंचाने के लिए या तो हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता है या फिर उसे सड़क मार्ग से ले जाया जाता है। वहीं, अब ये कार्य ऐरावत ड्रोन करेगा। भारतीय सेना को स्वदेशी तकनीक से बने ऐरावत ड्रोन काफी पसंद आए हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्द से जल्द इनकी डिलीवरी भी शुरू हो जाएगी।
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ये होगा विश्व का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन
फिरोजाबाद की ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री हजरतपुर (OEFHZ) ने सैन्य ऑपरेशन्स के लिए 20 से 100 किग्रा वजन ढोने वाले इन लॉजिस्टिक ड्रोनों को डिजाइन किया है। इनमें ऐरावत-1 की पेलोड क्षमता 20 किग्रा, ऐरावत-2 की क्षमता 40 किग्रा, जबकि ऐरावत-3 की पेलोड क्षमता 100 किग्रा है, हालांकि ये अभी डेवलपमेंट फेज में है। बता दें कि ऐरावत-3 ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में भारतीय सेना के लिए एयर एम्बुलेंस का भी काम करेगा।
वहीं,,ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की मानें तो उन्हें उधमपुर आर्मी कमांड से 13 ऐरावत-3 ड्रोन डेवलप करने के ऑर्डर मिले हैं। इसके अलावा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का दावा है कि ऐरावत दुनिया का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन है।
दुर्गम इलाकों में और परीक्षण करने के दिए गए हैं निर्देश
साल 2024 की शुरुआत में ऐरावत-2 लॉजिस्टिक ड्रोन का उत्तरी कश्मीर के उरी और कुपवाड़ा में, पूर्वी लद्दाख के न्योमा और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हाई एल्टीट्यूड इलाकों में परीक्षण किया गया था। इस ड्रोन ने पेलोड के साथ भारतीय-चीन सीमा के पास 5000 मीटर की ऊंचाई तक भी उड़ान भरी थी। इतना ही नहीं इस ऐरावत ड्रोन ने खराब मौसम में भी अपने मिशन को पूरा किया था।
ट्रायल के दौरान ये पाया गया कि आपदा के दौरान ये ड्रोन पूरी तरह से सफल रहे। वहीं इसके दुर्गम इलाकों समेत बॉर्डर क्षेत्रों में और परीक्षण करने को भी कहा गया है, जिसके ट्रायल का खर्च खुद सेना वहन करेगी।