Lucknow News- उत्तर प्रदेश राज्य में अमेठी जिले की लोकसभा सीट पर काफी संशय के बाद आखिरकार कांग्रेस ने गांधी परिवार की जगह किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है। उम्मीद जताई जा रही थी इस बार राहुल गांधी दोबारा यहां से चुनाव लड़ेगें। बताते चलें कि पिछले तीन बार से राहुल गांधी इस सीट से सांसद चुने जा रहे थे। भाजपा की स्मृति ईरानी ने 2019 के आम चुनाव में उनको भारी वोटों से हराकर उनका अभियान रोक दिया था। आइए जानते हैं अमेठी सीट के इतिहास के बारे में…
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उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला, चौथी लोकसभा के साल 1967 में अस्तिव में आया और यहां से पहली बार लोकसभा चुनाव की शुरुआत हुई। कांग्रेस से विघासागर बाजपेयी को जनता ने सांसद चुना। उसके बाद से 1977 और 1998 को छोड़कर वहां की जनता ने गांधी परिवार से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जीत दिलाई। मगर 2019 में मोदी लहर के सामने राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने नाकार दिया और उनकी जगह भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरी स्मृती ईरानी को भारी वोटों से जीता कर संसद भेजा। बताते चलें कि जनता की नाराजगी की वजह से इस बार गांधी परिवार ने राहुल गांधी की जगह किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है। आइए जानते हैं अमेठी सीट का इतिहास…
कांग्रेस की गढ़ माने जाने वाली अमेठी सीट पर काफी सस्पेंस के बाद नामांकन के आखिरी दिन किशोरी लाल शर्मा ने कांग्रेस पार्टी से लोकसभा चुनाव का पर्चा भरा। उन्हें शुक्रवार की सुबह कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया। ऐसे में 47 साल बाद ऐसा हुआ है कि गांधी परिवार से इतर कोई कांग्रेस सीट से चुनाव लड़ रहा है। बताते चलें कि पहले और दूसरे चुनाव के बाद लगातार यहां से गांधी परिवार से कोई न कोई चुनाव लड़ता रहा है। यहां तक कि 1984 में राजीव गांधी के सामने मेनका गांधी भी चुनाव लड़ चुकी हैं, पर इस बार अमेठी की जनता की नाराजगी की वजह से गांधी परिवार ने दूरी बना ली है।
11 आम चुनाव में कांग्रेस को मिल चुकी है जीत
आपको बताते चलें कि अमेठी में 1967 से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव तक सिर्फ 3 बार ऐसे मौके आए हैं, जब वहां कि जनता ने दूसरी पार्टी के उम्मीदवार जीत दिलाई है, जबकि 11 बार कांग्रेस के उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे हैं। पहली बार हुए आम चुनाव में 1967 में कांग्रेस से विद्याधर बाजपेई ने चुनाव जीता। इसके बाद 1971 में विद्याधर बाजपेई दूसरी बार कांग्रेस से सांसद चुने गए। वहीं तीसरे आम चुनाव में 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार रविंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का विजयी अभियान रोक दिया था। इसके बाद 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने रविंद्र प्रताप सिंह को हरा दिया। 1980 में संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत के बाद 1981 में उपचुनाव हुआ, जिसमें संजय गांधी के भाई और सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी ने जीत दर्ज की। राजीव गांधी 1984, 1989 और 1991 तक लगातार यहां सासंद चुने गए। 1991 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। 1991 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के सतीश शर्मा सांसद चुने गए। इसके बाद 1996 में भी सतीश शर्मा ने दोबारा जीत हासिल की।
स्मृति ईरानी ने 2019 में रोका था राहुल गांधी का विजय रथ
1998 में लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार संजय सिंह से सतीश शर्मा हार गए। इसके बाद 1999 में हुए चुनाव में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनाव जींती। वहीं अगर साल 2004, 2009 और 2014 की बात करें तो अमेठी की जनता ने राहुल गांधी सांसद चुने गए, लेकिन 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी को जनता ने नाकारते हुए भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी को लगभग 55 हजार वोटों से चुनाव जीता दिया। आपको बताते चलें कि स्मृति ईरानी पहली बार चुनाव लड़ने उतरी थी और कांग्रेस के विजय अभियान को रोक दिया। यहीं वजह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की हिम्मत नही कर पाए और उन्होंने इस बार अमेठी की जगह रायबरेली को चुना है। जहां से पिछली बार सोनिया गांधी चुनाव जीती थीं।