चेन्नई के एक अस्पताल में पाकिस्तानी युवती आएशा का डॉक्टरों ने सफल हार्ट ट्रांसप्लांट किया था। खास बात यह है कि आयशा के शरीर में एक भारतीय व्यक्ति का हृदय प्रत्यारोपित किया गया था। यह शख्स हिंदू था और डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। पाकिस्तानी युवती के परिजन आर्थिक रूप से कमजोर थे, इसलिए इलाज का पूरा खर्च एक भारतीय ट्रस्ट ने उठाया। लेकिन, पाकिस्तान में अब इसको लेकर कट्टरपंथी बिलबिलाने लगे हैं। कट्टरपंथियों का कहना है कि जो दिल पहले बुतों के सामने झुकता था, अब वह अल्लाह से सामने झुकेगा।
पाकिस्तान के एक यूट्यूबर ने वहीं के एक इमाम का इंटरव्यू लिया है। जिसमें वह इमाम यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जो दिल पहले बुतों यानी मूर्तियों के सामने झुकता था अब वह अल्लाह के सामने झुकेगा। इमाम ने कहा कि यह बड़ी बात है कि एक बच्ची ने बुतों को सामने झुकने वाले दिल को अल्लाह के सामने झुका दिया। यूट्यूबर ने मौलाना से पूछा कि जिस व्यक्ति का दिल आयशा के शरीर में लगा हैं, उसे बहुत शबाब (पुण्य) मिलेगा। इस पर इमाम ने कहा उस व्यक्ति को कोई भी शबाब नहीं मिलने वाला। इस पर इमाम ने कहा कि उस व्यक्ति को कोई शबाब नहीं मिलेगा। क्योंकि शबाब पाने के लिए मुसलमान होकर मरना जरूरी है।
इमाम ने कहा कि काफिरों का कोई भी काम दुनिया के खात्मे के समय गिना नहीं जाएगा। वहीं, इमाम ने मुस्लिमों के अंगदान को भी गलत ठहाराया। उसने कहा कि बगैर जरूरत के रक्तदान जायज नहीं है। जब रोगी की जान पर बन आए तभी रक्तदान करना चाहिए।
बता दें कि करांची की रहने वाली आयशा बचपन से ही दिल की बीमारी से ग्रसित थीं। पाकिस्तान में दिल की बीमारी का इलाज न होने के कारण आयशा के परिजन 2019 में भारत उसका उपचार कराने आए थे। क्योंकि आयशा के परिजनों की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, इसलिए उसके इलाज का करीब 40 लाख का खर्च भारत के एक ट्रस्ट ने उठाया था।