नई दिल्ली- पतंजलि भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट की अवमानना के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की तरफ से प्रकाशित माफीनामा की भाषा पर सुप्रीम कोर्ट ने संतोष जताया है। वहीं कोर्ट ने अगली सुनवाई में दोनों को व्यक्तिगत पेशी से छूट भी दे दी है। बता दें कि जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने पतंजलि के वकीलों की तरफ से अखबार का पूरा पन्ना रिकॉर्ड पर न रखने को लेकर नाराजगी जताई। बेंच ने कोर्ट मे अखबार का पूरा पन्ना दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी। सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इंटरव्यू देकर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एलोपैथी डॉक्टरों के बारे में की गई टिप्पणी की आलोचना की है। जिस पर बेंच ने इसे रिकॉर्ड पर रखने को कहा। उन्होंने कहा कि वह इस विषय को सख्ती से देखेंगे, यह ‘गंभीर’ मामला है।
कोर्ट ने IMA के वकील से कहा, ”आपकी कार्यप्रणाली भी गौरव से नहीं भरी हुई है। आपको यह बताना होगा कि आप यह कैसे तय कर सकते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।”
वहीं कोर्ट ने उत्तराखंड औषधि विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण के उस हलफनामे पर असंतोष जाहिर करते हुए उसे अस्वीकार कर दिया जिसमें उसने कोर्ट को सूचना दी कि उसने पंतजलि के 14 प्रोडक्टस के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट लाइसेंसिंग ऑथोरिटी के हलफनामे पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कुल मिलाकर बात यह है कि जब आप कोई काम करना चाहते हैं, तो आप बिजली की तरह कर लेते हैं! और जब आप नहीं चाहते तो आप नहीं करते।
तीन दिनों में आपने वह सब कुछ कर लिया जो आपको करने की जरूरत थी! लेकिन आपको यह सब बहुत पहले करना चाहिए था। इस तरह का ढीला रवैया उचित नहीं है। आपको हलफनामा दाखिल करते वक्त चीजों का ध्यान रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम आपका हलफनामा अस्वीकार करते हैं।
यह भी पढ़ें:- गोरखपुर- चुनावी व्यस्तता के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गौसेवा और बाल प्रेम