सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले की CBI जांच का विरोध करने पर ममता सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सवाल किया कि कोई राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकती है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने CBI जांच का निर्देश देने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि “राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय से कैसे संपर्क कर सकती है?” जस्टिस बीआर गवई ने पूछा कि “राज्य को कुछ निजी व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए?” इसपर राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील जयदीप गुप्ता ने जवाब दिया कि राज्य सरकार के बारे में टिप्पणी की जा रही हैं और यह अनुचित है, क्योंकि राज्य सरकार ने पूरी कार्रवाई की है।
जस्टिस मेहता ने कहा कि अगर राज्य इससे व्यथित है तो राज्य हाईकोर्ट में जाकर टिप्पणी को हटाने की मांग क्यों नहीं कर सकती। ममता सरकार ने इस दौरान कोर्ट से 1 हफ्ते का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने उनकी इस मांग को भी खारिज कर दिया। दलीलें सुनने के बाद, बेंच ने मामले को जुलाई 2024 में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया है।
बता दें पूर्व टीएमसी नेता शाहजहां शेख, संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन पर कब्जा करने के मामले में मुख्य आरोपी है। इसकी जांच हाईकोर्ट ने CBI से कराने के निर्देश दिए हैं।